प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में एक बीजेपी विधायक द्वारा एक सरकारी कर्मचारी की पिटाई के मामले को लेकर सख्त रुख अपनाया है। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि 'मामले का दोषी चाहे किसी का भी बेटा क्यों न हो, उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। जिन लोगों ने उसका स्वागत किया है, उन्हें भी पार्टी में रहने का हक नहीं है। सभी को पार्टी से निकाल देना चाहिए।Ó दरअसल, मोदी का इशारा बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय की ओर था, जिन्होंने इंदौर में अपनी ड्यूटी कर रहे नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट बैट से मारा था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया पर वे जमानत पर छूट गए। उनके जमानत के छूटने पर बीजेपी के कई नेताओं ने उनका फूलमालाओं से स्वागत किया था।
निगम के अधिकारी की पिटाई का विडियो देशभर में वायरल हुआ था और इसकी तीखी निंदा की गई थी। लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इस मामले में खुलकर अपने बेटे का बचाव किया और सवाल करने वाले एक पत्रकार से पूछा कि उसकी औकात क्या है! पिछले कुछ समय से अनेक बीजेपी नेताओं और उनके रिश्तेदारों द्वारा सरकारी अधिकारियों को धमकाने और पीटने की घटनाएं घटी हैं। मध्य प्रदेश के ही नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना इलाके में केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद पटेल के बेटे प्रबल पटेल और भतीजे मोनू पटेल समेत सात लोगों को एक शख्स को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आश्चर्य कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुलकर प्रबल पटेल का समर्थन किया। सतना जिले के रामनगर परिषद में अध्यक्ष राम सुशील पटेल ने चीफ म्यूनिसिपल ऑफिसर (सीएमओ) की बांस से पिटाई की। मारपीट में महिला पार्षद और कुछ ठेकेदार भी घायल हैं। बताया जा रहा है सीएमओ ने नगर परिषद अध्यक्ष के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।
उत्तर प्रदेश के कासगंज में बीजेपी विधायक के बेटे ने स्थानीय थाने के एसएचओ के साथ कथित तौर पर बदतमीजी की और उनका ट्रांसफर करवाने की धमकी दी। लगता है, केंद्र में दूसरी बार सत्ता पाने के बाद बीजेपी नेता और उनके करीबी लोग खुद को कानून से ऊपर मानने लगे हैं। अधिकारियों पर अकड़ दिखाकर अपना कद बढ़ाने का भाव भी उनमें दिख रहा है। पर वे भूल रहे हैं कि ऐसा करके वे सरकारी मशीनरी की कमर तोड़ रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि अगर सत्तापक्ष ही कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करेगा तो इससे अपराधियों का हौसला बढ़ेगा और समाज में अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी। पीएम ने शायद इसीलिए उन्हें आगाह करने की कोशिश की है। चाल-चरित्र पर बीजेपी काफी जोर देती रही है। सत्ता में रहते हुए उसके नेताओं के आचरण में यह कुछ तो दिखना चाहिए।
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