दारोगाई के बाद पंचाती का चस्का



कभी किसी दारोगा को आपने पंचाती बनते देखा है  बल्कि वह तो वक्त-बेवक्त पंचातियों को हड़काता ही रहता है। दारोगा का पंचाती बनते वैसे भी शोभा नहीं देता। जिसका काम उसी को साजे। पर ट्रंप साहब इन बातों की परवाह नहीं करते कि उन्हें क्या साजता है और क्या नहीं। इसीलिए तो उन्होंने अपने देश की उन चार महिला नेताओं को अपने-अपने देश चले जाने के लिए कह दिया, जो उनकी विरोधी हैं। हालांकि अमेरिका ही उनका देश है।
पर जो विदेशी मूल का सवाल हमारे यहां बरसों पहले उठ कर बैठ चुका है, अमेरिका में ट्रंप साहब उसे अब उठा रहे हैं। हमारे संस्कृति के रक्षकों को चिंता रहती है कि हम अमेरिका का, पश्चिम का अनुसरण कर रहे हैं। पर अब देखिए अमेरिका हमारा अनुसरण कर रहा है। विदेशी मूल के मामले में तो कर ही रहा है, पर एक दिन ऐसा भी आएगा जब जैसे हमारे देश में सरकार विरोधियों को पाकिस्तान भेजने की मांग उठने लगती है, वैसे ही अमेरिका में भी सरकार विरोधियों को देश से बाहर भेजने की मांग उठने लगेगी। पर हमारे पास तो पाकिस्तान है, उनके पास क्या है  वे उन्हें कहां भेजेंगे 
पर अब चिंता का विषय यह है कि ट्रंप साहब को पंचाती करने का शौक चर्रा गया है। कोरिया वाले किम साहब से एक-दो बार बात क्या कर ली, उनको तो चस्का ही लग गया। सोच रहे होंगे कि दारोगाई बहुत कर ली, अब चलो थोड़ी पंचाती भी कर लेते हैं। जरा टेस्ट बदल लें और क्या 
सो उन्होंने अमेरिका पहुंचे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से कुशलक्षेम पूछी और फिर बातचीत में कह दिया-अरे हां यार, वो मोदीजी भी कह रहे थे कि हमारे और पाकिस्तान के बीच जरा पंचाती कर दो कश्मीर के मामले में। खान साहब तो खुश हो गए, पर हमारी सरकार तो हिल गयी। अरे यारी-दोस्ती के हंसी-मजाक को कोई ऐसे सार्वजनिक करता है क्या 
सो सरकार समर्थकों ने याद दिलाया कि ट्रंप साहब की भली चलाई यार। अरे वो कुछ भी कह सकते हैं भाई। और झूठ बोलने में तो उनका कोई मुकाबला ही नहीं। और फिर अमेरिकी अधिकारियों और अखबारों के हवाले से बताया गया कि पिछले चार साल में ट्रंप साहब ने कितने झूठ बोले हैं। एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार एक अमेरिकी दिन में जितनी बार हाथ धोता है, ट्रंप साहब कम से कम उतनी बार तो अवश्य ही झूठ बोलते हैं।
पर मोदीजी इतना तो जानते-पहचानते ही होंगे उनको कि बंदा किस तरह का है या फिर यूं ही जफ्फियां पाते रहते हैं। ऐसे आदमी से क्या याराना, बचकर क्यों नहीं रहते यार। कल को पता नहीं कहां फंसा दे। झूठे का क्या एतबार। पर मोदीजी भी क्या करें, अमेरिका के बिना ठौर कहां है