ध्रूव व प्रहलाद कथा का श्रोताओं ने किया श्रवण

ध्रूव व प्रहलाद कथा का श्रोताओं ने किया श्रवण
जालौन/उरई।(आरएनएस) श्रीमद् भागवत कथा के चैथे दिन ध्रुव व प्रहलाद कथा का रसपान भागवताचार्य ने उपस्थित श्रोताओं को कराया।
सेंगर कालोनी रावतान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चैथे दिन भागवताचार्य सर्वेश कुमार दीक्षित ने श्रोताओं को बतलाया कि भजन करने के लिए उम्र की जरूरत नहीं है क्योंकि भजन बालपन व युवावस्था में किया जाना बेहतर रहता है। बुढ़ापे में तृष्णा बढ़ जाती है इसीलिए छोटी उम्र से ही भजन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ध्रुवजी ने बचपन में ही भजन से भगवान को प्राप्त कर लिया था। इस कथा को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। आगे श्रोताओं को नरसी की कथा सुनाते हुए बताया कि इस मृत्युलोक में स्वर्ग भी है और नरक भी है। जो जैसा करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। इसीलिए इस कर्म क्षेत्र में आए हो तो अच्छा कर्म करो। बताया कि बेटी का धन कभी नहीं खाना चाहिए, जो बेटी का धन खाते हैं उन्हें नर्क में जाना पड़ता है। अंत में भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए बताया कि आज भी कलयुग में नरसिंह भगवान प्रत्येक खंभे में विराजमान है। लेकिन कोई भी प्रहलाद जैसा भक्त नहीं है। अगर प्रहलाद जैसा भक्त पैदा हो जाए तो आज भी नरसिंह भगवान प्रगट हो जाएंगे। इस कथा को सुनकर के श्रोताओं के अश्रु निकल आए। इस मौके पर बद्री निरंजन, बिंदे निरंजन, नीलेश, सोनू सिकरवार आदि श्रोता मौजूद थे।