गांव देहात में स्वतंत्रता के लिए लडाई लडने वालों की कहानी उकेरेंगी सुजाता

गांव देहात में स्वतंत्रता के लिए लडाई लडने वालों की कहानी उकेरेंगी सुजाता
मथुरा। हम चुनिंदा स्वतंत्रता सैनानियों की कहानियां, कारनामे और उनके नाम जानते हैं। आजादी की लडाई लडने वाले इनके अलावा भी रहे हैं। यह लडाई गांव-गांव में लडी गई थी। भागलपुर की गांधीवादी लेखिका सुजाता चैधरी ने पहले ब्रज के ऐसे ही स्वतंत्रता सैनानियों की कहानियों और इनके साहसी कारनामों को सामने लाने की ठानी है। इसके बाद वह देश के दूसरे हिस्सों के लिए भी यह काम करेंगी। वह ब्रज के गांव देहात में स्वतंत्रता के लिए लडने वाले स्वतंत्रता सैनानियों को खोजने चली हैं।
नेताजी, राष्ट्र पिता और भगत सिंह, महात्मा का आध्यत्म, बापू और स्त्री, चम्पारण का सत्याग्रह, सत्य के दस्तावेज जैसी तमाम पुस्तकों की लेखिका सुजाता ने कई उपन्यास और कहानियां भी लिखी हैं। सुजाता ने गांधी को अपने अध्ययन और लेखन से जाना ही नहीं है बल्कि गाधी को अपने जीवन में उतारने के लिए मानो शपथ ले ली है। श्री रासबिहारी मिशन ट्रस्ट की स्थापना कर सुजाता ने अनेक स्थानों पर बा-बापू पाठशालाएं खोलने का प्रण किया है। ये पाठशालाएं स्कूल से दूर रहने वाले गरीब, साधनहीन बच्चों को शिक्षित करने का काम करेंगी।
सुजाता को वृंदावन से विशेष लगाव है। यहां उन्होंने एक बड़ा मकान बना कर एक दर्जन से अधिक विधवाओं को बसा कर बेहतर जीवन जीने की व्यवस्था की हैै अब बा-बापू पाठशाला के शुरू करने के काम में जुटी हैं। आत्म-प्रचार से दूर रहने वाली सुजाता देश-दुनिया में घूम घूम कर गोधी के संदेश को देती रहती हैं।
सुजाता ने एक ऐसी योजना बनाई है जो किसी को भी उत्साहित कर सकती है। उनका कहना है कि आजादी की जंग में ऐसा कोई शहर नहीं था जहां फिरंगियों के खिलाफ गांधी और क्रांतिकारियों की लड़ाई के स्वर न गूजे हों। लड़ाई के इन अनेक अलिखित सच्चे किस्सों और कहानियों को लेखकों की तलाश है। सुजाता का कहना है कि यह काम वृंदावन से शुरू होगा । वृंदावन एक धार्मिक नगरी ही नहीं आजादी के आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। राजा महेंद्र प्रताप की शिक्षण संस्था श्श् प्रेम महाविद्वालय श्श् आजादी के दीवानों का प्रमुख केंद्र रहा था । यहाँ गांधीजी , सुभाष ,टैगोर सरीखे महान लोग अनेक बार आये थे । इस पवित्र स्थल को एक संग्राहलय बनाया जाना चाहिए । एक शिक्षित और सभ्य प्रगतिशील समाज की ये संग्रहालय ही तो पहचान हैं।
सुजाता वृंदावन के लेखकों और पत्रकारों की मदद से ये कहानियां लिपिबध्द कराएंगी और फिर उन्हें पुस्तकों की शक्ल में प्रकाशित किया जायेगा ताकि आने वाली पीढ़ी को अपनी विरासत तलाशने में भटकना न पड़े । यह काम देश के अन्य शहरों के प्रबुध्द लोग अपने अपने शहरों में करेंगे । यह काम आनेवाली पीढ़ी के लिए होगा ।
सुजाता गाँधी के रास्ते पर चलने वाले ज्ञात-अज्ञात लोगों को तलाश कर उनके प्रेणना दायक जीवन को लिपिवद्द करने-करने में लगी है।
गांधीवादी समाजसेवी सुजाता चैधरी के प्रेणना दायक कृतित्व-व्यक्तित्व को सलाम ।