संस्कृत सभी भाषाओं की जननी


सहारनपुर के जनमंच सभागार में संस्कृत सम्मेलन में स्मृति चिन्ह देते आयोजक।
सहारनपुर।(आरएनएस) स्वामी यतींद्रानंद महाराज ने कहा कि यदि विश्वगुरू बनना है तो संस्कृत को अपनाना होगा क्योंकि संस्कृत इस देश की आत्मा है। हम सबको मिलकर पूरे देश में संस्कृत को स्थापित करना होगा। स्वामी यतींद्रानंद महाराज आज यहां जनमंच सभागार में दून वैली पब्लिक स्कूल व संस्कृत भारती द्वारा आयोजित प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत कभी नहीं मरने वाली भाषा है। संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। उन्होंने कहा कि संसार की समस्त भाषाओं का जन्म संस्कृत से ही हुआ है। इसलिए संस्कृत को खाली पठन-पाठन की ही नहीं बल्कि रोजगारपरक भी बनाना होगा। मंडलायुक्त संजय कुमार ने कहा कि संस्कृत को हर व्यक्ति व बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को सीखना चाहिए तथा संस्कृत की पढ़ाई विद्यालयों में शुरूआत से ही कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस देश की सबसे प्राचीन संस्कृति के स्वरूप को एकजुट होकर आगे बढ़ाना होगा तथा संस्कृत भाषा को आम जन तक पहुंचाने के लिए उसे सरल स्वरूप में प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन संस्कृति के श्लोकों का उच्चारण करने से अस्थमा जैसी बीमारी नहीं होती है। इसलिए संस्कृत को तृतीय भाषा के रूप में नहीं बल्कि प्राथमिकता के आधार पर प्रचार-प्रसार करते हुए बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में चार मिलियन लोग अंग्रेज बोलते हैं जबकि संस्कृत उतनी बढ़ोत्तरी नहीं कर पाई है। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है। सभी भाषाओं की माता है। उन्होंने आधुनिकतम रिसर्चों के आधार पर संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता को प्रमाणित करते हुए संस्कृत को संस्कृति का प्राण बताते हुए आगे बढ़ाने का आह्वान किया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने कहा कि संस्कृत की परम्परा को बनाए रखना होगा। महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति है और इसी से संस्कार है। संस्कृत अनादि है इसीलिए अनंत है। उन्होंने कहा कि सरस्वती की वीणा से निकले हुए शब्दों में नाद ब्रह्म ने ही जीवन शक्ति प्रदान की है। इसलिए यह भाषा अनादि व अनंत है। इसके मंत्रों में अनेक रोगों को दूर करने की शक्ति है जिस पर अनेक शोध चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा का प्रचार व प्रसार विश्व के अनेक देशों में हो रहा है और संस्कृत भाषा व मंत्रोच्चार की शक्ति के ऊपर भी अनेक शोध चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत ब्रह्म है, चेतना है। यदि संस्कृत नहीं रहेगी तो कोई भाषा भी नहीं रहेगी। इससे पूर्व महामंडलेश्वर यतेंद्रानंद महाराज, महामंडेलश्वर कैलाशानंद महाराज, संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रताप सिंह, संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष प्रेमचंद शास्त्री, मंडलायुक्त संजय कुमार, जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय, एसएसपी दिनेश कुमार पी, दून वैली पब्लिक स्कूल के चेयरमैन राजकिशोर गुप्ता, प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा शर्मा, डायरेक्टर अनुराग सिंघल ने मां सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन व पुष्प अर्पित करके किया। तत्पश्चात स्कूली बच्चों ने सरस्वती वंदना एवं भगवती पूर्व भारती पर शानदार नृत्य प्रस्तुति देकर सबको तालियां बजाने को मजबूर कर दिया। इस दौरान अपर जिलाधिकारी विनोद कुमार, नगर मैजिस्ट्रेट डा. पंकज कुमार वर्मा, डीआईओएस अरूण कुमार दुबे बीएसए रामेंद्र कुमार, त्रिलोक चंद गुप्ता, विष्णु शुक्ला, हरिशंकर गोनियाल, काजी नदीम अख्तर सहित व्यापारी, अधिवक्ता, चिकित्सक, उद्यमी, शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राजकुमार राजू व अनुराग सिंघल ने किया।