आनंद के खान थे श्रद्धानंद: बीके सिंह


सोनभद्र। डीएवी पब्लिक स्कूल अनपरा में सोमवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर हवन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। लोगों ने स्वामी श्रद्धानंद को सच्चे अर्थ में स्वामी दयानंद के मार्ग के पथिक बताया। प्राचार्य बीके सिंह ने स्वामी को याद करते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानंद श्रद्धा एवं आनंद के प्रतिमूर्त थे। भारतीय संस्कृति के पूरजोर समर्थक थे। इनका देशप्रेम तथा हिन्दी प्रेम बहुत ही प्रबल था। उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी इनको अपना बड़ा भाई मानते थे। जब गाँधी ने रौलट एक्ट के विरूद्ध सत्याग्रह एवं आंदोलन की तो प्रतिज्ञापत्र पर पहला हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति स्वामी श्रद्धानंद ही थे। इन्होंने ही कर्मवीर गाँधी को महात्मा गाँधी की पदवी प्रदान की थ्ेाी। ये कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण से सहमत नहीं थे। इनका कहना था कि जब मुसलमानों को धर्म परिवर्तन का अधिकार है तो फिर हिन्दुओं को क्यों नहीं ? इन्होंने हिन्दू शुद्धिकरण आंदोलन चलाया। श्री सिंह ने कहा कि श्रद्धानंद ने हरिद्वार के पास कांगड़ी में विद्यालय की स्थापना की जो अब विश्वविद्यालय का रूप ले चुका है। इनका हिन्दी प्रेम इतना अधिक था कि सधर्म साप्ताहिक पत्रिका जो उर्दू मेें निकलती थी रातो रात इसका सम्पादन हिन्दी में प्रारंभ कर दिया। ये सचमूच में आनंद के खान थे। ये संस्कृति और संस्कारों की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। 23 दिसम्बर 1926 को रसीद नामक युवक ने गोली मार कर इनकी हत्या कर दी । लेंकिन इनका बलिदान अमर हो गया। आज ये सभी के लिए प्ररेणास्रोत हैं। इस मौके पर शिक्षक-शिक्षिकाएं छात्र-छात्राएं आदि मौजूद रहे।