जयंत चैधरी ने की मेरठ बवाल की न्यायिक जांच की मांग



मेरठ। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसक तथा उग्र प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चैधरी गुरूवार को पुलिस को चकमा देकर सुबह करीब 8 बजे उनके बीच पहुंचने में सफल रहे। वह यहां पर मारे गए सभी युवकों के परिजनों से मिले। उसके बाद उन्होंने साकेत स्थित पूर्व विधायक के आवास पर पत्रकार वार्ता की। पत्रकार वार्ता में उन्होंने उपद्रव की न्यायिक जांच की मांग की।
बतादे कि मंगलवार को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के काफिले को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया था। वह मेरठ में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मृतकों के परिजनों से मिलने जा रहे थे लेकिन पुलिस प्रशासन ने शांति व्यवस्था और कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए शहर के बाहर से ही वापस लौटा दिया था। वहीं बुधवार को जयंत चैधरी व उनके काफिले को दौराला टोल प्लाजा से वापस भेज दिया था। लेकिन राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चैधरी गुरुवार को मेरठ में पुलिस को चकमा देकर बवाल से पीडि़त लोगों के परिवारजनों से मिलने उनके घर पहुंचे। इसके बाद साकेत स्थित पूर्व विधायक राजेंद्र शर्मा के आवास पर मीडिया से वार्ता की। जयंत चैधरी ने बवाल के दौरान उपद्रवियों से निपटने के पुलिस के तौर तरीकों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा ऐसे लोग गोली का शिकार हुए है जो बेहद गरीब हैं। मेरठ के जुल्फिकार का परिवार तो बेहद गरीब है। जयंत ने पूरे घटना की न्यायिक जांच की मांग की और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग योगी सरकार से की। कहा दोषी करार दिए जाने से पहले बवाल के आरोपितों से वसूली गलत है। कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जयंत चैधरी ने कहा जिन परिवारों के घरों में तोडफोड़ की गई है सरकार उसका भी हर्जाना दे।
जयंत चैधरी ने कहा नागरिकता संशोधन कानून कि कोई जरूरत थी सरकार को कानून से पहले अधिकार प्राप्त है। वह किसी नागरिकता दे या किसे ना दे। इस तरह के मुद्दे उछाल कर सरकार देश की बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्धकी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून वास्तव में कारतूस है आने वाला कानून एनआरसी एक रिवाल्वर की तरह है किसके माध्यम से अल्पसंख्यकों के मन में में डर पैदा किया जा रहा है।