जिला अस्पताल के वार्डों से ब्लोवर नदारद, ठिठुर रहे मरीज 


बांदा। शीतलहर से जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों और तीमारदारों की शामत आ गई है। अस्पताल प्रशासन ने ठंड से बचाव के कोई उपाय नहीं किए। पहले जो ब्लोवर लगाए गए थे, वह भी नदारद और खस्ताहाल हैं। दीवारों में उनका मात्र स्टैंड (ढांचा) नजर आ रहा रहा है। मरीजों के लिए दिए गए कंबल इतने हल्के हैं कि उनके सहारे सर्द रातें नहीं काटी जा सकतीं। हाड़कंपाऊ ठंड के बाद भी जिम्मेदार आंखे फेरे हुए हैं। 
कई वर्ष पहले जिला अस्पताल के महिला वार्ड, पुरुष वार्ड, चिल्ड्रेन और इमरजेंसी वार्ड में ब्लोवर लगवाए गए थे। इसमें हजारों रुपया खर्च हुआ था। जबरदस्त ठंड में ब्लोवर चलने से वार्ड गर्म बना रहता है और मरीजों और तीमारदारों को ठंड का असर नहीं होता है। लेकिन वर्तमान समय में यहां का अस्पताल प्रशासन बेसुध नजर आ रहा है। जिला अस्पताल के सभी वार्डों में लगाए गए ब्लोवर महज शोपीस बने हुए हैं। अस्पताल के पूरे वार्डों में देखा गया तो महज एक या दो ब्लोवर ही गर्म हवा देते नजर आए। बाकी से तकरीबन डेढ़ दर्जन ब्लोवर ठंडे पड़े हैं। इन ब्लोवर का प्लग जरूर बिजली के बोर्ड पर लगाया गया है, लेकिन ब्लोवर तक करंट नहीं पहुंच रहा है। पिछले दिनों सीएमएस डा. संपूणार्नंद मिश्र ने कहा था कि जल्द ही ब्लोवर मरम्मत कराकर फिर से लगवाए जाएंगे ताकि मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। लेकिन सीएमएस के दावे अभी तक फलीभूत नहीं हुए हैं। अलबत्ता वार्ड में भर्ती मरीज और उनके तीमारदार ठंड से ठिठुर रहे हैं।