जिले में बादलों ने डाला डेरा, बूंदाबांदी से लोग ठिठुरे 

प्रयागराज। मंगलवार की सुबह से लेकर रात्रि तक आसमान में बादल और कोहरा छाया रहा। दोपहर में कोहरा ठीक से हटा भी नहीं था कि आसमान में घने बादल भी छाने लगे। सूर्य देव तो पूरे दिन ही नहीं दिखे। वहीं दूसरी तरफ बादलों ने भी बूंदाबंदी करने लगे। हवाएं भी पूरी तरह से बर्फीली लोग गलन भरी ठंड में ठिठुर रहे हैं। चौराहों पर अलाव जल रहा है कहीं पुराने टायर आदि जलाकर ठंड से बचने का प्रयास करते हुए दिखाई दिये। 
पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के कारण पिछले हफ्ते तीन-चार दिनों तक शीतलहरी चलने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। बाद में हवा के सुस्त पड़ जाने से तापमान में उतार-चढ़ाव का सिलसिला शुरू हो गया था। सोमवार को दिन में तेज धूप होने से अधिकतम पारा चढ़ गया था। हालांकि शाम होते ही हाड़ कंपाने वाली हवा चली तो न्यूनतम पारा लुढ़क गया। इससे गलन बढ़ गई। रात में राहगीर अलाव तलाशते नजर आए।
इन्सेट-
कोहरे के कारण कई ट्रेन विलंबित
कोहरे के कारण ट्रेनों की चाल धीमी हो गई है। वातावरण में कोहरा छाए रहने के कारण वीआइपी ट्रेन प्रयागराज समेत कई ट्रेनें मंगलवार को विलंबित रहीं। इससे यात्रियों को परेशानी हुई। रविवार रात में कोहरा का प्रभाव कम होने के कारण ट्रेनों की लेटलतीफी में थोड़ा सुधार हुआ था। बावजूद इसके संगम एक्सप्रेस, नौचंदी एक्सप्रेस, रीवा एक्सप्रेस, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनें विलंब से प्रयागराज पहुंचीं।मेरठ से आने वाली संगम एक्सप्रेस इलाहाबाद जंक्शन पर सुबह 8.35 बजे आती है। सोमवार को गाड़ी तीन घंटे 12 मिनट विलंब से 11.47 बजे स्टेशन पर पहुंची। सहारनपुर से प्रयागघाट स्टेशन तक आने वाली नौचंदी एक्सप्रेस सुबह 10 बजे की बजाए दोपहर में 12.10 बजे दो घंटे 10 मिनट लेट आई। इसी प्रकार नार्थ ईस्ट पांच घंटे 30 मिनट, रीवा एक्सप्रेस पांच घंटे, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस चार घंटे विलंब से आई। इसके अलावा अन्य ट्रेनों भी विलंब आई और गईं। इसके कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 
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मौसम के बिगड़े मिजाज ने अन्नदाताओं की बढ़ाई चिंता
कोरांव, प्रयागराज। अभी एक ओर जहां अन्नदाता अपने धान की फसल को बचाने में जुटे व लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर आज हुई बूंदाबांदी व घने कोहरे वह बादल को देखकर अन्नदाता ओं के चेहरे पर सिकन अस्पष्ट दिखने लगी। क्योंकि अभी जहां एक ओर धान खेतों में खलिहान में गिले रूप से पड़े हुए हैं। वह घर तक नहीं पहुच पाई  हैं ।वही रवि की बुवाई भी अधर में है कुछ लोगों ने तो रबी की फसल पैरा छिट कर कर ली है। किंतु 40ः अभी भी किसानों की बुवाई बाकी है। जो बिगड़ते हुए मौसम के कारण नहीं हो पा रही है। इसके पूर्व भी ओलावृष्टि व भारी बारिश से अभी तक अन्नदाता निकल नहीं पाए थे कि रवि की बुवाई उनके लिए चिंता का सबब बन गया।जो किसान बुआई कर लिये थे उनका भी खाद व बीज बीज मरी का शिकार बरसात व ओला बृष्टि के कारण हो गया था ।समय मिलने पर दुबारा बुआई करना भी अब मौसम के बदले मिजाज के कारण अन्न दाताओ के लिए चिंता का कारण बना हुआ दिखलाई पङ रहा है।