कथा का श्रवण  सुन भाव विभोर हुए लोग 


अमेठी।सन्त समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ होय' ईश्वर की कथा को कहना व सुनना दोनो ही बेहद सौभाग्य की बात है, यह  बहुत मुश्किल भी होता है। विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए क्षेत्र के टिकरी गांव में मां दुर्गनदेवी धाम पर चल रही  श्री राम कथा के तीसरे दिन प्रयागराज से आये कथा व्यास पण्डित अजय शास्त्री ने कही।
कथा व्यास ने कहा कि अपार बल,क्षमता,धन,वैभव से सुशोभित होने वाले लंका के राजा रावण को माता सीता ,भगवान श्रीराम, भक्त हनुमान के साक्षात दर्शन तो हुए लेकिन उसे ईश्वर के चरणों का सौभाग्य नही प्राप्त हुआ और न ही उसे कोई सौभाग्यशाली कहा। वही विभीषण ने लंका में गए भक्त हनुमान का रूप सन्त का दिखा तो रावण को हनुमान का रूप महज बानर का दिखा। ऐसे ही कंस को भगवान श्री कृष्ण के साक्षात दर्शन हुए लेकिन उसे भी वह सौभाग्य नही मिला। बिना ईश्वर के कृपा के भगवान के दर्शन नही मिलता न ही उसे कोई सौभाग्य माना जा सकता है। कथा के मध्य संगीत व वादन कर रहे प्रभाकर शुक्ल,श्री कांत पांडेय,देवेन्द्र पांडेय, गजाधर,करुणानंद के द्वारा गायी जा रही गीत 'वही सौभाग्यशाली है जिसे सत्संग मिलता है' से लोग झूम उठे। इस मौके पर सेवानिवृत्त शिक्षक रणंजय सिंह,  सेवानिवृत्त फौजी कमलेश सिंह, पूर्वप्रधान साधू सिंह, गया प्रसाद तिवारी, सुभाष अग्रहरि, के साथ महिलाएं व भक्त मौजूद रहे।