महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष पर विशेष

महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष पर विशेष
महात्मा गांधी के विचारों से बनेगा 'श्रेष्ठ भारत
प्रहलाद सिंह पटेल
केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
भारत की महान भूमि ने दुनिया को हर युग में ऐसे युगपुरुष दिए हैं, जिन्होंने न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित किया है। बुद्ध, महावीर से लेकर आदि शंकराचार्य, गुरु नानक और कबीर से होती हुई ये परंपरा स्वामी विवेकानंद तक अनवरत चलती  आ रही है, जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत की सभ्यता, आदर्श और विचारों को लोकप्रिय बनाया।
इसी महान परंपरा से जुड़ी हुई एक महान हस्ती हैं हमारे पूज्य बापू, जिन्हें  पूरी दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है। महात्मा गांधी वैश्विक इतिहास का किरदार हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को अहिंसा और सत्याग्रह का पाठ पढ़ाया और जिनके नेतृत्व में देश ने अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति प्राप्त की देश इस वर्ष उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है।
हर दौर में प्रासंगिक हैं बापू
महात्मा गांधी की खूबी ही यह है कि वह हर दौैर में प्रासंगिक रहे हैं और आज के दौर में तो उनके विचार हर इंसान को बल देने का काम करते हैं। बापू के सत्य, अहिंसा और प्रेम के संदेश को पूरी दुनिया ने माना है। यही वजह है कि जब दुनिया आंतकवाद से जूझ रही है, उस दौर में महात्मा गांधी संपूर्ण विश्व में शांति के ब्रैंड एम्बैस्डर बन गए हैं। गांधी जी ने सभी  से प्रेम करने की बात कही थी। बापू मानते थे कि कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है, यह तो बहादुर की निशानी है। प्रेम करने के लिए हिम्मत की जरुरत होती है क्योंकि नफरत करने के लिए वजह की जरूरत होती है और प्रेम करने के लिए साफ मन के सिवा कुछ नहीं चाहिए होता है। सभी को नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करने की सीख ही भारत को एक रखती है। गांधी जी ने कहा था कि कमजोर सभी क्षमाशील नहीं हो सकता है, क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है और ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है, यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है। बापू के 150 वीं जयंती वर्ष में भारत के हर नागरिक को आपसी गिले शिकवे मिटा कर उत्कृष्ट भारत निर्माण के लिए मजबूत इच्छाशक्ति दिखानी होगी।
सिर्फ किसी का स्वार्थ हो सकती है हिंसा
अंग्रेजों को भारत से खदेडऩे वाले महात्मा गांधी ने सदैव अहिंसा को अपनी सबसे बड़ी ताकत माना और किसी भी कीमत पर हिंसा का समर्थन नहीं किया। हिंसा कभी किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। हिंसा सिर्फ किसी का स्वार्थ हो सकती है। बापू कहते थे कि मन,  वचन और शरीर से किसी को भी दुख न पहुंचाना अहिंसा है। अहिंसा का मार्ग मुश्किल है लेकिन इस मार्ग से सफलता जरूर मिलती है। बापू कहते थे कि धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है। आज के दौर  में जब वैचारिक मतभेद हिंसक हो रहे हैं, तब बापू की बात को याद रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा था कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान हैं, अहिंसा उसे पाने का साधन। धैर्य और अहिंसा के जरिए हर समस्या का समाधान संभव है और मुश्किल से मुश्किल मसलों का हल भी बातचीत से निकलता है। बस जरूरत है तो विश्वास और धैर्य की।
विविधता से ही बनता है श्रेष्ठ भारत
भारत की विविधता उसकी खूबी है। यह खूबी ही इसे एक श्रेष्ठ भारत बनाती है। अलग-अलग संस्कार, भाषाएं और रहन-सहन के तरीके मिलकर इसे एक भारत, श्रेष्ठ भारत बनाते हैं। अपनी संस्कृति के साथ दूसरे की संस्कृति का सम्मान करना ही भारत की पहचान है। अलग-अलग प्रदेशों की संस्कृति को अपनाकर उसका प्रचार-प्रसार करने का काम आज किया जा रहा है। गांधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने की कोशिश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की है। गांधी जी ने कहा था कि स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी  आदत बन जाए। प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को लोगों की आदत में शामिल कराया है। गांधी जी का मानना था कि अपने अंदर की स्वच्छता पहली चीज है जिसे पढ़ाया जाना चाहिए, बाकी बातें इसके बाद होनी चाहिए। आज के दौर में हम सबको अपने मन को स्वच्छ करना है, उसके बाद ही  एक भारत, श्रेष्ठ भारत की असल तस्वीर सबके सामने आ सकेगी।
दुनिया अपना रही है योग
किसी भी काम को करने के लिए मजबूत मन के साथ ही स्वस्थ तन की जरूरत होती है। सामान्य सी कद काठी वाले महात्मा गांधी ने खून की एक बंूूद गिराए बिना, ब्रिटिश सामाज्य की जड़ें हिला दी थीं। गांधी जी  कहते थे कि स्वास्थ्य ही असली संपति है, न कि सोना और चांदी। आज हमारे योग को दुनिया अपना रही है। फिट इंडिया मुहिम के तहत देशवासी भी स्वस्थ तन की अहमियत समझ रहे हैं और स्वस्थ जीनवशैली को अपना रहे हैं। महात्मा गांधी के अनेक विचारों की महत्ता दिन-प्रतिदिन  बढ़ती दिख रही है। कारण है कि आज भारत ही नहीं अपितु सारी दुनिया  इन विचारों और मूल्यों को अपनाती नजऱ आ रही है। गांधी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर महात्मा एक बार फिर सही अर्थ में जीवत हो उठे हैं।  
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