महत्वपूर्ण रूप से लेनदेन के समय और लागत में कमी करगी देगी।

महत्वपूर्ण रूप से लेनदेन के समय और लागत में कमी करगी देगी।
निजी कंपनियों, सरकारी कंपनियों, धर्मादा कंपनियों, निधियों तथा आईएफएससी (गिफ्ट सिटी) कंपनियों को कंपनी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों से छूट।
अंतरीय वोटिंग अधिकारों (डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स - डीवीआर) के साथ शेयर जारी करने संबंधी प्रावधानों को संशोधित किया गया है ताकि भारतीय कंपनियों के प्रवर्तकों को कंपनी के विकास और शेयर धारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सृजन के लिए वैश्विक निवेशकों से इच्टिी पूंजी उगाहने पर भी, अपनी कंपनियों का नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम बनाया जा सके।
कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत मध्यस्थता तथा सुलह से संबंधित सक्षम प्रावधानों को लागू किया गया।
सार्वजनिक इश्यू की समय सीमा कम करके सेबी के साथ मानकों को सामन्जस्यपूर्ण बनाया गया ताकि निवेशक पहले के 6 दिनों के बदले आवेदन करने के 3 दिन के अंदर प्रतिभूतियां प्राप्त कर सकें।
अधिनियम के अनुच्छेद 232(6) को लाने के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया है। इससे अनुच्छेद विलय/एकीकरण की 'निर्धारित तिथिÓ का पता करने में व्यवहारों में सामंजस्य आएगा और लेखा व्यवस्था पर उचित स्पष्टता प्रदान की जा सकेगी। फलस्वरूप हितधारकों को अपने व्यावसायिक चिंताओं और कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार विलय/ एकीकरण की 'निर्धारित तिथिÓ से जुडऩे की अनुमति दी जा सकेगी। इससे व्यावसायिक सुगम्यता में काफी योगदान होगा।
डिबेंचर रिडेम्प्शन रिजर्व (डीआरआर) बनाने सम्बंधी प्रावधानों में संशोधन किया गया। ताकि निम्नलिखित उपाय करके बॉन्ड बाजार को प्रगाढ़ बनाया जा सके और पूंजी लागत घटायी जा सके :
सूचीबद्ध कंपनियों, भारतीय रिजर्व बैंक से पंजीकृत गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों तथा राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के साथ पंजीकृत आवास वित्त कंपनियों के मामले में सार्वजनिक इश्यू के साथ-साथ प्राइवेट प्लेसमेंट के लिए डिबेंचर के 25 प्रतिशत मूल्य का डीआरआर बनाने के लिए आवश्यकताओं की समाप्ति।
गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डीआरआर को बकाया डीबेंचरों के वर्तमान 25 प्रतिशत के स्तर से घटाकर 10 प्रतिशत करना।
स्वतंत्र निदेशकों का डाटाबैंक लॉन्च किया गया ताकि वर्तमान स्वतंत्र निदेशकों के साथ-साथ स्वतंत्र निदेशक बनने के आकांक्षी व्यक्तियों के पंजीकरण के लिए सहज पहुंच योग्य प्लेटफार्म प्रदान किया जा सके।
कंपनियों तथा एलएलपी के नाम आरक्षण और निगमीकरण बनाने के लिए पहले के कम से कम 15 दिनों के औसत के स्थान पर 1-2 दिनों के अंदर केंद्रीय पंजीकरण केंद्र स्थापित करना।
देश में प्रत्येक वर्ष 1,25,000 से अधिक कंपनियां पिछले तीन वर्षों में निगमित की गई हैं। पहले के वर्षों में 50-60,000 कंपनियां निगमित की गई थीं। साथ ही गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनियों की प्रतिभूतियों को अमूर्त बनाना।
कंपनियां (पंजीकृत वैल्लुअर्स तथा वैल्युएशन) नियम।
कंपनी (दंडों के न्यायिक निर्णय) नियम संशोधित किये गए ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और भेदभाव रहित बनाई जा सके।  
उत्तरदायी व्यवसाय आचरण पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश और