जिला संवाददाता बस्ती।
प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा गुरूवार को मशहूर शायर मिर्जा गालिब जयन्ती की पूर्व संध्या पर कलेक्टेªट परिसर में 2019 में बस्ती के ऐसे रचनाकारों को सम्मानित किया गया जिनकी कृतियों का प्रकाशन हुआ है। अध्यक्ष सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में भावमंथन के रचयिता डा. वी.के. वर्मा भद्रसेन सिंह बंधु कृत 'गीत बांसुरी', डा. रामकृष्ण लाल 'जगमग कृत 'सच का दस्तावेज''बस कुआनों बह रही है' काव्य संकलन के रचयिता डा. राजेन्द्र सिंह 'राही', डा. राममूर्ति चौधरी कृत ' गीत गौरव', डा. परमात्मा प्रसाद निर्दोष कृत 'मलय गंध', डा. पंकज कुमार सोनी कृत 'भाव प्रसून' के लेखकों को सम्मानित किया गया। इसी क्रम में आयुर्वेद के क्षेत्र में योगदान के लिये वेद प्रकाश पाण्डेय संस्थान की ओर से सम्मानित किये गये।
इसके बाद मशहूर शायर मिर्जा गालिब के व्यक्तित्व कृतित्व पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला। बटुकनाथ शुक्ल ने कहा कि मिर्जा गालिब का जन्म 27 दिसंबर, 1797 में आगरा के कला महल में हुआ था। गालिब मुगलकाल के आखिरी महान कवि और शायर थे। मिर्जा गालिब के शेर भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभार में मशहूर हैं।
श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि मिर्जा गालिब की प्रथम भाषा उर्दू थी लेकिन उन्होंने उर्दू के साथ-साथ फारसी में भी कई शेर लिखे थे। गालिब की शायरी लोगों के दिलों को छू लेती है। गालिब की कविताओं पर भारत और पाकिस्तान में कई नाटक भी बन चुके हैं। “हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले” उनका प्रसिद्ध शेर है। आयोजक सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने गालिब के शेर “हाथों की लकीरों पर मत जा ए गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होता” की चर्चा करते हुये कहा कि गालिब की शायरी युगों तक लोगों को प्रेरणा देगी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मो0 वसीम अंसारी, सरदार जगवीर सिंह, राघवेन्द्र शुक्ल, बालकृष्ण चौधरी, विनय कुमार श्रीवास्तव, जगदीश प्रसाद, दीनानाथ, सामईन फारूकी आदि शामिल रहे।