संसाररूपी भवसागर से पार उतारने के शर्त पर केवट ने भगवान को गंगा पार कराया

 

गोला, गोरखपुर । 

 

वन गमन के समय भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से मना कर देता है। पांव पखारने की बात को केवट अपने तर्कों से सही सिद्ध कर देता है। जिसके बाद प्रभु राम लक्ष्मण व सीता का पांव पखारने के बाद ही केवट उन्हें नाव से गंगा पार पहुंचाता है।

 

उक्त बाते सोमवार को गोला में चल रहे सरयू महोत्सव के दौरान पक्का घाट स्थित रामबाग में चल रहे श्री राम कथा के आठवें दिन कथावाचक पं पवन शास्त्री जी ने कही। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि वनगमन के दौरान भगवान श्री राम माता सीता व भाई लक्षमण के साथ गंगा तट पर पंहुचते हैं । जहां केवट श्रीराम को पैर पखारे बिना गंगा पार कराने से मना कर देता है। इस पर लक्ष्मण क्रोधित भी होते हैं । लेकिन केवट विनम्रता से कहता है लक्ष्मण उन्हें तीर भले ही मार दें लेकिन बिना पाव पखारे तीनों को अपनी नौका पर नही बैठाएगा। केवट की वाणी सुनकर भगवान पांव पखारने की अनुमति देते हैं। केवट कठौते में गंगाजल ले आ कर प्रभुराम सीता व लक्ष्मण का पांव पखारता है। गंगा पार होने के बाद भगवान केवट को उतराई देने लगते हैं। लेकिन केवट उतराई लेने से मना कर देते है और कहता है कि हे प्रभु मैने आपको गंगा पार कराया, आप अपनी कृपा से मुझे इस संसाररूपी भवसागर से पार उतार दीजिएगा। महर्षि वाल्मीकि की सलाह पर श्री राम चित्रकूट में रहने का निर्णय लेते हैं। 

वहीं कथा शुरू होने के पूर्व वरिष्ठ भाजपा नेता व जिला योजना कार्य समित के सदस्य शत्रुघ्न कसौधन ने व्यास पीठ की आरती उतारी। 

इस अवसर पर समाजसेवी इन्द्रबहादुर   वर्मा, मुराली प्रसाद, उदय शंकर गुप्ता,  विष्णु जयसवाल, डाॅ राजेश जयसवाल,  सुदर्शन कसौधन, महंथ राजेन्द्र दास, इमरान अंसारी, सहित तमाम नगर वासी मौजूद थे।