विश्वबैंक बिजनेस रैंकिंग में भारत की चौदह पायदान हुई उछाल

विश्वबैंक बिजनेस रैंकिंग में भारत की चौदह पायदान हुई उछाल0-वर्ष 2018 के 77 के स्थान पर आया 63 रैंक
सभी हितधारकों को अधिक व्यावसायिक सुगमता प्रदान करने, कॉरपोरेट ढांचे में पारदर्शिता लाने तथा कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत प्रक्रिया सक्षमता बढ़ाने के लिए बेहतर कॉरपोरेट परिपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) ने पिछले एक वर्ष (जनवरी-नवम्बर, 2019) में अनेक उल्लेखनीय कदम उठाए हैं।
भारत ने विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस 2020 रिपोर्ट में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रैंकिंग 14 पायदान ऊपर उठकर 63वें स्थान पर आ गयी है।  2018 में भारत का स्थान 77वां था। व्यावसायिक सुगमता रैंकिंग में भारत की 14 रैंक की छलांग काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की रैंकिंग में 2015 से लगातार सुधार हुआ है और भारत लगातार तीन वर्ष से सुधार करने वाले शीर्ष 10 देशों में है। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने दिवाला समाधान में योगदान दिया है।
रिज़ॉल्विंग इन्सॉल्वेंसी इंडेक्स (दिवाला समाधान सूचकांक) में नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2019 में 56 स्थानों की छलांग लगा कर 52वें स्थान पर पहुंच गया है। 2018 में भारत की रैंकिंग 108 थी। वसूली दर 2018 के 26.5 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 71.6 प्रतिशत हो गई। वसूली में लगने वाला समय 2018 के 4.3 तीन वर्ष की तुलना में सुधर कर 2019 में 1.6 वर्ष हो गया है।
हाल में मंत्रालय द्वारा कानून पालन करने वाले कॉरपोरेट्स को व्यावसायिक सुगमता प्रदान करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं, जिसके अनुसार
एकीकृत निगमन फॉर्म - इलेक्ट्रॉनिक रूप से कंपनी को निगमित करने के लिए सरलीकृत प्रोफार्मा (एसपीआईसी-ई) लागू किया गया है, जो एक ही फॉर्म के माध्यम से तीन मंत्रालयों की 8 सेवाओं (सीआईएन, पैन, टिन, डीआईएन, नाम, ईपीएफओ, ईएसआईसी और जीएसटीएन)  को समाहित करता है।
कंपनी अधिनियम के तहत तकनीकी और प्रक्रिया सम्बंधी उल्लंघनों का वैधीकरण और कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2019 के माध्यम से 16 अपराधों से जुड़े अनुच्छेदों को मौद्रिक दंड व्यवस्था के अंतर्गत लाकर आपराधिक न्यायालयों और एनसीएलटी पर बोझ को कम किया गया है। इस विधेयक को 31 जुलाई, 2019 को अधिसूचित किया गया।
कंपनियों और एलएलपी के नाम आरक्षण के लिए आरयूएन - रिजर्व यूनिक नेम वेब सेवा लागू करके सरकारी प्रक्रिया को नया स्वरूप दिया गया। डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) के आवंटन की प्रक्रिया को नया रूप दिया गया। 15 लाख रुपये तक की प्राधिकृत पूंजी वाली कंपनी के निगमीकरण के लिए शून्य एमसीए शुल्क व्यवस्था, विलंब योजना (सीओडीएस) 2017 की माफी।
देश में कंपनियों के विलय और अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत संशोधित डी-मिनिमाइज छूट।