बुन्देलखण्ड के ज्वार की मांग देश व खाड़ी के देशों में -20 दिनों में 40 हजार कुंतल ज्वार हुई खरीदफरोख्त


हमीरपुर/22 जनवरी।(आरएनएस ) सूखे के लिये बदनाम बुन्देलखण्ड के किसानों के लिये ज्वार अब सफेद सोना बन गया है। क्योंकि यह पशुओं के लिये दूध बढ़ाने वाला चारा और मधुमेह रोगियों के लिये बेहतर खाद्यान होने के कारण इसकी मांग विदेशों में भी हो गई है। जिससे कीमत बढ़ी तो किसानों की आमदनी भी बढ़ने लगी। सुमेरपुर के मण्डी समिति में इस समय देश भर के खरीददार जुटे हैं और रोजाना एक हजार कुंतल ज्वार की खरीद कर रहे हैं। 10 जनवरी से खुली मण्डी में अब तक 40 हजार कुंतल ज्वार बेंचा जा चुका है। भोर होते ही उपज की नीलामी शुरू हो जाती है। इससे मण्डी परिषद को भी खासा राजस्व मिल रहा है। यूं तो विशेष प्रजाति का ज्वार बुन्देलखण्ड और यमुना पट्टी में बहुतायत पैदा होता है। मगर इसकी प्रमुख मण्डी सुमेरपुर में है। ज्वार दिसम्बर के पहले सप्ताह से मण्डी में आने लगती है। स्थानीय कारोबारी बताते हैं कि यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से खरीददार आते है। जबकि महाराष्ट्र और गुजरात के लिये निर्यात की जाती है। इन दिनों सौदी अबर और दुबई देशों में भी इसकी मांग है, क्योंकि यह फाईबार युक्त है। वहां इसे खाने में प्रयोग किया जा रहा है। जिला कृषि अधिकारी डाॅ सरस तिवारी का कहना है कि सफेद ज्वार स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है। इसमें फाईबर और प्रोटीन होने से मधुमेह, हृदय रोगियों के लिये लाभकारी है। जिले में 5500 हे0 में ज्वार बोई जाती है। जो 2 हजार से 3500 रुपया प्रति कंतल की दर से बिकती है। 10 दिसम्बर से अब तक 40 हजार कुंतल की बिक्री हो चुकी है। इसका माड़ और प्रोटीन बिस्कुट में अधिक प्रयोग होता है।