खुले हृदय से आसमानी सफलताएं रेनू सैनी

खुले हृदय से आसमानी सफलताएंरेनू सैनीहृदय यानी आम बोलचाल की भाषा में दिल। वही दिल जो मनुष्य के सीने में बाईं ओर धड़कता है और यह सुनिश्चित करता है कि जीवन चल रहा है। दिल पर अनेक कवियों ने रचनाएं लिखी हैं। साहित्य एवं फिल्म जगत दिल के उदाहरणों से भरा पड़ा है। आपको क्या लगता है कि दिल वाकई नाजु़क होता है। एक प्रसिद्ध गीत है, 'दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा।Ó दिल बेशक छोटा होता है लेकिन इसमें बड़े-बड़े सपने, बड़ी-बड़ी कल्पनाएं और बड़ी-बड़ी इच्छाएं जन्म लेती हैं, पलती हैं, आकार ग्रहण करती हैं और फिर उन्हें साकार करती हैं।
नया विज्ञान और व्यापक शोध बताता है कि हमारे शरीर में जो दिल है, वह केवल रक्त का संचार करने वाली मशीन भर नहीं है, यह तो जानकारी को व्यवस्थित करने वाला मुख्य केंद्र है। जब दिल/दिमाग और शरीर का संवाद होता है तो वह सर्वोत्तम होता है और उस समय ऐसी भावनाएं उत्पन्न होती हैं जिन्हें दिल के साथ लंबे समय से जोड़ा जाता रहा है। प्रेम, करुणा, परवाह, आभार, आसक्ति दिल से ही होते हैं। नया विज्ञान बताता है कि हमारे दिल में भी एक बुद्धिमत्ता होती है। कई बार ऐसा होता है कि किसी समस्या का समाधान हमें कतई नहीं सूझता। फिर हम अपने दिमाग को ताजा करने के लिए बाहर टहलने चले जाते हैं। कुछ देर बाद टहलते-टहलते हमें समस्या का समाधान अचानक ही सूझ जाता है। यह समाधान दरअसल दिमाग की नहीं बल्कि हृदय की शक्ति होता है।
तनाव एवं समस्या के समय जब दिमाग के दरवाजे बंद नजऱ आते हैं, उस समय हृदय दोगुनी ताकत से व्यक्ति को तनावमुक्त करने के लिए जुट जाता है। बस हमें हृदय के उस संकेत को समझने की आवश्यकता है। जो उस संकेत को पहचान और समझ जाते हैं, वे अपने हृदय की शक्ति से पूरी दुनिया को जीत लेते हैं और जो इस संकेत को नहीं समझ पाते, वे समस्याओं में दिमागी तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं। इसके साथ-साथ दिल का रोगी बनते भी उन्हें देर नहीं लगती।
प्रसिद्ध लेखक पाउलो कोएलो कहते हैं कि मैं किशोरावस्था से ही एक लेखक बनना चाहता था लेकिन मेरे माता-पिता को मेरे चयन पर आपत्ति थी। मेरे माता-पिता मुझे अंतर्मुखी और हठी मानते थे। परिणाम यह हुआ कि 17 साल की उम्र से पहले ही मेरे माता-पिता ने मुझे एक मानसिक अस्पताल में भर्ती करने की योजना बना ली। बीस वर्ष की उम्र में मैं पढ़ाई अधूरी छोड़कर विश्व की यात्रा पर निकल गया। कोएलो इस बात को मानते हैं कि उनके दिल की जागरूकता ने ही उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया था। वे कहते हैं, 'जिस पल मुझे अहसास हुआ कि मैं लेखक बनना चाहता हूं, उसी पल से मैंने कहा, 'हो सकता है इसमें दस दिन लगें, दस साल लगें या बीस साल लगें, लेकिन मैं लिखने वाला हूं।Ó आज पाउलो कोएलो की ये सब बातें इतिहास बन चुकी हैं और वे एक विश्व प्रसिद्ध लेखक के रूप में सबके सामने हैं।
उन्होंने अपने उपन्यास 'द अलकेमिस्टÓ में कहा है कि आप अपने दिल से कभी नहीं बच पाएंगे। इसलिए बेहतर यही है कि जो यह कहना चाहता है, उसे सुन लें।Ó दिल की धड़कन उस समय प्रारंभ होती है, जब वे खास कोशिकाएं गर्भ में बनती और बढ़ती हैं। कोशिकाएं पूरे हृदय के बनने से पहले ही धड़कनें लगती हैं और वे एक साथ धड़कती हैं। द इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टमैथ ने हृदय की धड़कन और व्यक्तियों की भावनात्मक अवस्था के बीच की कड़ी को उजागर किया है। इस संस्थान का मानना है कि व्यक्ति का हृदय मस्तिष्क की तुलना में आसपास हो रही घटनाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया करता है क्योंकि भावनाएं विचारों की तुलना में ज्यादा तेज और ज्यादा शक्तिशाली होती हैं।
हमारे इर्द गिर्द हमें कुछ ऐसे व्यक्ति नजऱ आते हैं जो बिल्कुल निष्चेष्ट होते हैं। कई बार उन्हें आलसी एवं नकारा कहकर संबोधित किया जाता है। ऐसे लोगों के अंदर दिमाग इसलिए सुप्तावस्था में हो जाता है क्योंकि ये अपने दिल के संपर्क से पूरी तरह बाहर होते हैं। जब व्यक्ति दिल के संपर्क से बाहर होता है तो वह असहज होता है, सही -गलत की स्थिति से परे होता है। ऐसा उस दशा में भी देखने को मिलता है जब लोग अपराध करते हैं। अधिकतर अपराधी मनोरोगी किस्म के इसलिए पाए जाते हैं क्योंकि उनके दिल के दरवाजे बंद होते हैं। इसलिए संवेदनाएं उन्हें सही-गलत की पहचान नहीं करा पातीं।
यदि व्यक्ति हृदय खुला रखे तो वह आसमान की ऊंचाइयों को छू सकता है। खुला हृदय हमें जीवन को बहुत अलग तरीके से देखने की अनुमति देता है। व्यक्ति का जन्म पृथ्वी पर एक चमत्कार है, इसलिए हममें से प्रत्येक को हृदय खोलकर परिवर्तन एवं नई सृष्टि उत्पन्न करने में मदद करनी चाहिए और जीवन को नये एवं खूबसूरत आयाम देने चाहिए।
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