कुड़कुड़ाते कम्बल मांगे अलावयूष पांडेठंड इस बार अलग मूड में है। कई जगह पारा भी कुड़कुड़ाते हुए जम गया है। अलाव खुद कम्बल मांग रहे हैं। ठंड रोज अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बना रही है। कभी-कभी लगता है कि ठंड का कोई न कोई नाता धावक उसेन बोल्ट या पोल वॉल्ट चैंपियन रहे सर्गेई बुबका से है, जो खुद ही अपना रिकॉर्ड तोड़ते थे। इन खिलाडिय़ों के दौर में बाकी खिलाड़ी इस चक्कर में फंसते ही नहीं थे कि इनका रिकॉर्ड तोड़ा जाए। ठंड का भी यही हाल है। अखबार में रोज ठंड की 87-88-100 साल पुराने रिकॉर्ड टूटने की खबरें आ रही हैं। इस चक्कर में सामान्य ज्ञान रटने वाले बच्चे परेशान हैं क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर किस साल सबसे ज्यादा ठंड पड़ी थी? चिंता है कि एक दिन का अखबार देखने से चूके तो उत्तर गलत हो सकता है।
मैं कन्फ्यूज हूं कि रोज अपना ही रिकॉर्ड धराशायी कर ठंड आखिर साबित क्या करना चाहती है? क्या अपने अपमान से आहत होकर ठंड कारनामा दिखा रही है? क्योंकि उत्तर भारत में अक्सर लोग कहते दिखते हैं कि दो-चार दिन ठंड पड़ती है, क्या करना ज्यादा ऊनी कपड़े खरीदकर। शायद उसने इसे इंसल्ट माना हो। यह भी हो सकता है कि ठंड लोगों को फिल्मी अंदाज में संदेश देना चाहती हो—'मैं रजाई के अंदर तक आती हूं लेकिन समझ में नहीं।Ó मुमकिन है कि ठंड प्रदर्शनकारियों के प्रदर्शन से खफा हो। ठंड को लग रहा हो कि प्रदर्शनकारी उसका कतई लोड नहीं ले रहे हैं, इसलिए वो रोज अपना रिक़ॉर्ड तोड़कर उनका इम्तिहान ले रही हो।
कुड़कुड़ाते कम्बल मांगे अलाव