मौन से शक्ति संचय

मौन से शक्ति संचयएक भक्त ने अपने गुरु से पूछा 'आप कहते हैं कि मौन रहने के बहुतेरे फायदे हैं। कृपा करके हमेे वे फायदे बताएं।Ó गुरुजी ने मुस्करा कर कहा, 'मौन रहने वाले को अपनी किसी बात का स्पष्टीकरण नहीं देना पड़ता है जबकि सदैव बकबक करने वाले को अपनी कही बातों के स्पष्टीकरण भी देने पड़ते हैं। दिनभर में अपने-पराये कई लोगों से मिलते हैं, जिनसे मिलने पर अधिक बोलकर हम अपनी ऊर्जा अनावश्यक रूप से नष्ट करते हैं। अनियंत्रित रूप से बोलकर हम कई संकटों को भी आमंत्रित करते हैं। यदि सीमित और संयमित ढंग से वाणी का प्रयोग किया जाए तो हम निरर्थक बहस और संघर्षों से बच सकेंगे। मौन एक साधना है। मौन शक्ति संचय का एक अनूठा तरीका है। इसके द्वारा हम आध्यात्मिक रूप से सम्पन्न होते हैं तथा आन्तरिक रूप से शक्ति-सम्पन्न होकर व्यावहारिक जीवन में अपनी आन्तरिक एवं बाह्य शक्ति के अपव्यय को भी रोकते हैं। मौन रहकर ही हम सकारात्मक सोच को विकसित कर सकते हैं तथा मानसिक शांति पा सकते हैं। वाणी का संयमित एवं संतुलित प्रयोग कर ही हम आदर्श जीवन की प्राप्ति कर सकते हैं। यह कम शब्दों के प्रयोग एवं मौन साधना से ही संभव है।Ó प्रस्तुति : सुभाष बुड़ावन वाला


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