नीलगायों द्वारा फसल बर्बादी देख माथा पिट रहे किसान रात भर खेतों में जगकर किसान दे रहे पहरा
नीलगायों द्वारा फसल बर्बादी देख माथा पिट रहे किसानरात भर खेतों में जगकर किसान दे रहे पहरा

 नीलगायों द्वारा चरी गई गेहूं की फसल को देख माथा पिटता किसान रमेश साह

भाटपाररानी, देवरिया।(आरएनएस )भाटपाररानी तहसील क्षेत्र में नीलगायों के आतंक ने किसानों का नींद हराम कर दिया है।इस कड़ाके की ठंड के मौसन में किसान अपने खेतों में रात भर जगकर पहरा देने को मजबूर हैं।नीलगायों द्वारा की जा रही फसलों की बर्बादी को देख बेबस किसान अपना माथा पीट रहे हैं।वहीं शासन, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा  किसानों की इस बड़ी समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है।जिसके चलते किसानों में आक्रोश है।बता दें कि क्षेत्र के तकरीबन सभी गांवों में नीलगायों की झुंड देखने को मिल रहा है।वहीं झरही व स्याही नदी के तटवर्ती गांवों में नीलगायों की संख्या ज्यादा है।झरही व स्याही नदी के किनारे स्थित झाड़ियों व गन्ने के खेत में नीलगायों ने अपना आशियाना बना लिया है। दिन व रात हर वक़्त नीलगायें दर्जनों की संख्या में झुंड बनाकर खेतों में कूद फांद करते देखे जा रहे हैं।इनके द्वारा गेहूं,सरसो,आलू,मक्का, मटर आदि तमाम फसलों को चरकर व दौड़ते हुए रौंदकर बर्बाद कर दिया जा रहा है।इसके अलावा तेजी से सड़क पार करते समय नीलगाय रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों को भी घायल कर दे रहे हैं।नीलगायों से फसलों की सुरक्षा के लिए किसान इस कड़ाके के ठंड में भी दिन रात खेतों में रहने को मजबूर हैं।किसान खेतों में मचान डालकर जगकर रात गुजारने को विवश हैं।वहीं पलक झपकते ही नीलगाय खेतों में प्रवेश कर जा रहे हैं।क्षेत्र के भोपतपुरा निवासी किसान रमेश साह ने बताया कि नीलगायों की दिन प्रतिदिन बढ़ रही संख्या के कारण आने वाले समय मे हमें भुखमरी का सामना करना पड़ेगा।नीलगाय सारी पूंजी को बर्बाद कर दे रहे हैं।जब फसल नहीं होगी तो आखिर हम क्या खाएंगे?कड़सरवा बुजुर्ग निवासी भृगुराशन सिंह, मुक्तिनाथ कुशवाहा, बहेरा टोला निवासी हंसनाथ कुशवाहा, चकिया कोठी निवासी इसरारुलहक,भोपतपुरा निवासी सफीउल्लाह अंसारी,बलिवन निवासी भोला गुप्ता, गुलहा निवासी रामबुधन कुशवाहा, गणेश तिवारी, राजपुर निवासी धर्मेन्द्र प्रसाद,नरकटिया निवासी वशिष्ठ यादव,दिसतौली निवासी रामइकबाल यादव,पड़री निवासी राजू सिंह यादव,जैसौली निवासी वीरबहादुर यादव आदि किसानों का कहना है कि इस समय नीलगाय फसल उत्पादन में सबसे बड़ी बाधा बन चुके हैं।नीलगायों द्वारा फसलों की बर्बादी चिन्ता का विषय है।बावजूद इसके शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।किसानों का कहना है कि सरकार फसलों की सुरक्षा के लिए नीलगायों को पकड़वाकर सुदूर जंगलों में ले जाकर छोड़वाए या किसानों के खेतों की सरकारी खर्चे पर घेराबंदी करे।वहीं किसानों ने फसलों की बर्बादी के एवज में उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है।