ठंड भत्ता भी आरंभ किया जाए। आज एक ढंग की जैकेट

इस भीषण ठंड में सरकारी कर्मचारी डिमांड कर रहे हैं कि महंगाई भत्ते की तरह ठंड भत्ता भी आरंभ किया जाए। आज एक ढंग की जैकेट पांच हजार से कम की नहीं है। प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारी जानते हैं कि ठंड भत्ता असंभव है तो वो ठंड की छुट्टियां मांग रहे हैं। ठंड को लेकिन किसी की मांग-वांग से क्या, वो अपने स्टाइल में है। उसे शायद इस साल अनूठा रिकॉर्ड बनाना है, जो कभी टूट न सके। लेकिन ऐसा कहां होता है भला? रिकॉर्ड होते ही टूटने के लिए हैं। जीप घोटाले से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड टूटते-टूटते ऐसे मोड़ पर आ गया कि भ्रष्टाचार की रकम गिनना ही मुश्किल है। महंगाई के रिकॉर्ड साल दर साल टूटते ही गए। 'आगरानामाÓ किताब में एक जगह जिक्र है कि 1936 में एक तोला सोने की कीमत 36 रुपए थी, आज 40 हजार रुपया से ज्यादा है। शेयर बाजार को ही लीजिए। 25 जुलाई, 1990 को सेंसेक्स ने एक हजार अंक छूने का रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद कई बार मंदी आई और गई, सेंसेक्स अपना रिकॉर्ड तोड़ता रहा। अब कभी 40 हजार पार कर चला जाता है। ठंड को कोई समझाए कि अब अपना रिकॉर्ड दो-चार साल बाद तोड़ ले। फिलहाल, बस करे।