वराडकर राजनीति में आने से पहले चिकित्सा के पेशे में

वराडकर राजनीति में आने से पहले चिकित्सा के पेशे में थे। फिर देशकाल-परिस्थितियों ने इस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी फाइन गेल का प्रमुख बना दिया। वे वर्ष 2007 में आयरलैंड की संसद के लिये चुने गये। वर्ष?2011 में फाइन गेल पार्टी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी। वराडकर को ट्रांसपोर्ट, पर्यटन तथा खेल मंत्री बनाया गया। कालांतर में वे स्वास्थ्य मंत्री भी बने। फिर आयरलैंड के समाज कल्याण विभाग के प्रमुख भी बनाये गये।
आयरलैंड की राजनीति में शिखर की सफलता हासिल करने वाले लीयो अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में रहे। इसकी एक वजह यदि भारतीय मूल का होना है तो दूसरी वजह समलैंगिक होना भी है। आयरलैंड एक बेहद रूढि़वादी देश रहा है। बीती सदी में नब्बे के दशक में इस देश में समलैंगिकता और तलाक गैर-कानूनी था। वर्ष 2015 में सरकारी ब्रॉडकास्टिंग आरटीई को दिये एक साक्षात्कार में उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि वे समलैंगिक हैं। उन्होंने कहा, यह मेरे लिये बड़ी बात नहीं है और किसी और के लिये भी बड़ी बात नहीं होनी चाहिए। रोचक बात यह है कि जिस देश में नब्बे के दशक तक समलैंगिकता अपराध कही जाती थी, वहां इस सार्वजनिक स्वीकृति के बाद हुए जनमत संग्रह में आयरलैंड ने समलैंगिक शादी का समर्थन किया।
बहरहाल, वराडकर के व्यक्तित्व में तमाम तरह की खूबियां हैं। उन्होंने आयरलैंड के मीडिया में अपनी तेज-तर्रार छवि गढ़ी। उन्हें सामान्य तौर पर 'शार्प शूटरÓ या 'स्ट्रेट टॉकरÓ कहा जाता है। जब एंडा केनी ने प्रधानमंत्री और फाइन गेल पार्टी के नेतृत्व से संन्यास लेने की घोषणा की तो उन्होंने ऐसी मुहिम चलायी कि पार्टी के तमाम बड़े नेता चौबीस घंटे में उनके समर्थन में आ गये।
फिर देश में 2017 में हुए आम चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी और हाउसिंग मिनिस्टर साइमन कोवेनी वराडकर की चुनौती को झेल नहीं पाये। उन्होंने कोवेनी को साठ प्रतिशत वोट लेकर हराया।
कोवेनी ने हार के बाद वराडकर पर देश?के आर्थिक नीतियों को दक्षिणपंथ की ओर ले जाने का आरोप लगाया। उन्हें श्रमिक अधिकारों तथा प्रगतिशील मुद्दों पर अपने विचारों को लेकर आलोचना भी सुननी पड़ी। दरअसल, चुनाव अभियान के दौरान लीयो ने फाइन गेल पार्टी के कार्यकर्ताओं को उन लोगों को प्रतिनिधित्व करने को कहा?था जो सुबह जल्दी उठते हैं।?यानी जो निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में लगे हैं। वे अभिभावक जो अपने बच्चों का ध्यान रखने के लिये जल्दी उठते हैं।
दरअसल, वराडकर ने चुनाव के दौरान सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आयरलैंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है। खासकर ब्रेक्जिट के बाद उत्पन्न हालात से निपटना उनकी प्राथमिकता होगी।
वराडकर 38 साल में आयरलैंड के प्रधानमंत्री बनने वाले सबसे युवा नेता हैं। वे आज यूरोप के सबसे बड़े रूढि़वादी माने जाने वाले देश आयरलैंड में एक उदारवादी चेहरा बनकर उभरे हैं। उनका निजी जीवन व नस्ल अब कोई मायने नहीं रखती। उनकी तुलना फ्रांस के युवा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों व कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से होती है। नि:संदेह वराडकर की राजनीतिक क्षमताओं ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नेता बना दिया है। भारतीय युवा उनसे प्रेरणा ले सकते हैं।