मोबाइल और कम्प्यूटर से बच्चों में एकांगी जीवन शैली घातक-अधोक्षजानन्द छात्रों के जीवन में खेल का बहुत महत्व-केशरी नाथ त्रिपाठी

प्रयागराज, 31 जनवरी (आरएनएस )। खेल हमारे जीवन का न केवल एक अहम हिस्सा है, बल्कि भारतीय संस्कृति एवं एकता का प्रतीक भी है। खेल का मैदान भाषा एवं धर्म को महत्व नहीं देता। आज मोबाइल और कम्प्यूटर के बढ़ते प्रयोग ने हमारी खेल संस्कृति को जख्मी कर दिया है। बच्चों में एकांगी जीवन शैली दिखाई देने लगी, जिसका परिणाम घातक होगा।
यह बातें जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ स्वामी ने शुक्रवार को दांदूपुर स्थित समदरिया स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन के पंच दिवसीय वार्षिक खेल महोत्सव में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता खेल को केवल मनोरंजन का साधन न समझे बल्कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेल के प्रति रुचि बढ़ाए और संसाधन उपलब्ध कराएं।
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि छात्रों के व्यस्त जीवन में खेल का बहुत महत्व है। खेल तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है। किसी भी स्थिति में इसके मूल्यों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन मानव जीवन की आधारशिला है। स्वस्थ शरीर के लिए खेल और व्यायाम की उतनी ही आवश्यकता है जितना कि भोजन और पानी।
खेल महोत्सव की शुरूआत बच्चों ने मार्चपास्ट सलामी के साथ किया। मुख्य अतिथि ने मशाल प्रज्वलित कर प्रतिभागी छात्र छात्राओं को खेल भावना की शपथ दिलाई। जगद्गुरु शंकराचार्य ने गुब्बारे उड़ाकर स्वच्छंद विचारधारा के साथ खेलकूद प्रतियोगिता का संदेश दिया।