सत्संग में आने से दूर होते हैं क्लेश--संगीता शास्त्री

बल्दीराय, सुलतानपुर। क्षेत्र के बाबा दुलदुल दास कुटी धाम पर वृन्दा बन धान से पधारी कथा वाचिका संगीता शास्त्री ने कहा श्रीमद् भागवत कथा के मध्य ईश्वर के कई अवतारों का वर्णन मिलता है । यह यद्यपि इंसान किसी भी औतार पर चिंतन करें, तो इंसान को सुखद आनंद की अनुभूति होगी।

कथा बाचिका ने यह भी कहा कि  वह कृतियों में डूबने से बच जाएगा। हर अवतार के वर्णन का मात्र सिर्फ यही उद्देश्य कि इंसान समझ जाए। सती के अपमान से   यह सीख मिलती है। नारियों को पति की   किसी बात को काटने से सिर्फ अपमान मिलेगा। विश्व के धरातल पर उसी नारी को सम्मान मिला है, जो पति को परमेश्वर मानती है। भाँति -भाँति की कथाओं का उल्लेख समाज को सीख के लिए होता है ।जन्म के उपरांत अंत तक सीख की ही जरूरत होती है। सीख सत्संग से मिलती है, सत्संग के लिए चित्र विचित्र मन की तरंग को धर्म के भाव में पिरोना होगा। तभी सच्चा आनंद मिलता है। उन्होने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत में तुलसीदास जी ने लिखा है "निज कृत कर्म भोग सब भ्राता" स्वयं जैसा करोगे वैसा ही भरोगे।इतना ही चिंतन हो जाए तो बहुत कुछ सुधर सकता है। यह तभी संभव है, जब मन लोक कल्याण में लगेगा तो स्वयं कल्याण में निश्चित है। द्वेष उत्पन्न होगा ही होगा।

इस मौके पर बबिता तिवारी जिप सदस्य,बेद प्रकाश तिवारी,ज्योति प्रजापति ,कंचन यादव ,माधुरी यादव ,संदीप  ,उषा भारती गायत्री देवी, संजू प्रजापति ,मीना रानी प्रजापति ,जानकीदेवी  ,बिनाेद तिवारी वाकील, राजधर मिश्र मुन्ना मिश्र, रामजी मिश्र , कमलेश यादव ,सन्तोष यादव झगरू ,भारती शिव शंकर भारती, गंगा सागर रामसागर आदि उपस्थित रहे।