हार पर रार

 


 


 


 


 



यह पुरानी कहावत है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। बुधवार को भारत व न्यूजीलैंड के बारिश से बाधित मैच में भारतीय टीम की शिकस्त को भी इसी नजरिये से देखा जाना चाहिए। हम इसे इस नजरिये से भी देख सकते हैं कि न्यूजीलैंड की व्यूहरचना हमसे ज्यादा सधी हुई थी। वह ?उसमें कामयाब भी हुई। यह दिन उनका था। हार के बाद दस तरह खामियों का पोस्टमार्टम होता है, शायद जीत की खुमारी में वे दब जाती हैं। मगर यह सत्य है कि लीग मैचों में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम 18 रन से मैच हारकर विश्व कप की दौड़ से बाहर हो गई। यह विडंबना ही है कि 130 करोड़ देशवासियों की टीम महज पचास लाख आबादी वाले देश की टीम के समक्ष नतमस्तक हो गई। वह भी उस देश के सामने, जिसका मुख्य खेल क्रिकेट नहीं, रग्बी है। नि:संदेह भारतीय टीम में दुनिया के स्टार बल्लेबाज हैं, अच्छे बॉलर हैं। न्यूजीलैंड ने हमारे शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को रणनीति के तहत शिकार बनाया और मध्य क्रम इस दबाव में बिखर गया। मगर दरकते विकेटों के बीच में धोनी व जडेजा की 116 रनों की यादगार साझेदारी भी रही। जिस वक्त भारत के छह विकेट महज 92 रन पर गिर गये थे, जडेजा ने शानदार शाट जड़े। उन्होंने 59 गेंदों पर 77 रनों की शानदार पारी खेली। इसके बावजूद कि कमेंट्रेटर बॉक्स से जडेजा को लेकर तमाम तरह के कयास लगाये जा रहे थे। मैच में सवाल धोनी की बल्लेबाजी के क्रम को लेकर भी उठे। कहा जा रहा है कि यदि धोनी पहले मैदान में उतारे जाते तो एक छोर संभालते और नये खिलाडिय़ों को अनुभव बांटते। सवाल धोनी की धीमी बल्लेबाजी को लेकर भी उठे। मगर यह सत्य है कि भारत लगातार दूसरी बार सेमीफाइनल हार कर विश्व कप की दौड़ से बाहर हो गया है। पराजय का एक सबक यह भी है कि शीर्ष खिलाडिय़ों पर निर्भरता को कम किया जाना चाहिए।
नि:संदेह इस शिकस्त के बावजूद भारतीय टीम में तमाम विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं। कई स्टार क्रिकेट जगत की चमक रखते हैं। बेहतरीन गेंदबाज हैं। इस विश्व कप में पांच शतक लगाने वाले रोहित शर्मा हैं। यह बात अलग है कि न्यूजीलैंड के कप्तान कैन विलियम्स की रणनीति कामयाब रही, जिन्होंने अपनी टीम के लिए एक-तिहाई रन खुद बनाये। इतनी बड़ी संख्या में इंग्लैंड पहुंचे भारतीय प्रशंसकों की लय देखने लायक थी। उन्हें जरूर इस पराजय से निराशा हुई होगी। मगर बेहतर खेल के उन्हें और मौके जरूर मिलेंगे। नि:संदेह भारतीय क्रिकेटरों की चूक उन्हें खली होगी, मगर उन्हें बेहतर खेल के लिये प्रतीक्षा करनी चाहिए। नि:संदेह इस मैच में 240 रन का स्कोर भारतीय दिग्गजों के लिये असंभव नहीं था। यह बात अलग है कि दिग्गजों की नासमझी से वह पहाड़ जैसा बन गया। कहीं न कहीं वर्षा बाधित मैच के बाद दूसरे दिन न्यूजीलैंड के खिलाडिय़ों द्वारा बनाये गये तेज रनों को हमारे बल्लेबाज पिच को रनों के अनुकूल समझने की भूल कर बैठे। मगर न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज मैट हेनरी व ट्रेंट बॉल्ट की गेंदबाजी ने तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने बता दिया कि इस पिच पर 240 का स्कोर लक्ष्य पाना सहज नहीं है। बहरहाल, ऐसे खेल के बूते न्यूजीलैंड फाइनल में अप्रत्याशित भी कर सकता है। जिसके लिये हमें अगले विश्वकप की प्रतीक्षा करनी होगी। हमारी टीम के लिये यह आत्ममंथन का समय है। जरूरत इस बात की है कि हम अपने मध्य क्रम को मजबूत करें। नंबर चार से छह तक के खिलाडिय़ों को लेकर जो दुविधा हमेशा बनी रहती है, उसे शीघ्र दूर करने की जरूरत है जो मुश्किल वक्त में भी जीत की उम्मीद बनाये रखे। बहरहाल, इसके बाद भी हार के कारणों का पोस्टमार्टम होगा। कुछ चेहरे बदलेंगे, कुछ संन्यास लेंगे, मगर उम्मीदों का क्रिकेट हमेशा रहेगा।
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