बड़े हौसलों की उड़ान


स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े बदलावों के रास्ते पर बुलंद हौसले के साथ चल रही अपनी सरकार के इरादे जाहिर किए और परिवर्तन के इस अभियान से जुडऩे के लिए देशवासियों का आह्वान किया। इस दूसरे कार्यकाल में लाल किले से अपने पहले भाषण में पीएम ने अर्थव्यवस्था को खास तवज्जो देते हुए कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अगले 5 साल में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने का लक्ष्य दोहराते हुए उन्होंने कहा कि 130 करोड़ देशवासी यदि छोटी-छोटी चीजों को लेकर चल पड़ें तो यह लक्ष्य हासिल करना संभव है। 
इसके लिए उन्होंने मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की बात कही और लकी कल के लिए लोकल का मंत्र दिया। उन्होंने निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया और देश को कैशलेस इकॉनमी बनाने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि फिलहाल दुकानों पर आज नकद कल उधार का बोर्ड लगा रहता है, लेकिन अब लिखना चाहिए- डिजिटल पेमेंट को हां, नकद पेमेंट को ना। एक बहुत बड़ी घोषणा उन्होंने रक्षा के क्षेत्र में की। तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) की नियुक्ति की जाएगी जो रक्षामंत्री को रिपोर्ट करेगा।
याद रहे कि 1999 में हुए करगिल युद्ध के बाद देश की सुरक्षा-व्यवस्था में मौजूद कमियों का पता लगाने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने वर्ष 2001 में ही सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश की थी। समिति का सुझाव था कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों को बारी-बारी से सीडीएस बनाया जाए। यह भी कि सीडीएस का कार्यकाल 2 साल रखा जाए, जिसे बढ़ाया जा सकता है। यह पद फिलहाल ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और श्रीलंका सहित करीब दस देशों में है। अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने के फैसले पर मोदी ने कहा कि हम समस्याओं को न पालते हैं और न टालते हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना पटेल के सपने को साकार करने जैसा है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकवाद एक्सपोर्ट करने वालों को बेनकाब करने का वक्त आ गया है। 
जनसंख्या विस्फोट पर प्रधानमंत्री ने गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि छोटा परिवार रखने वाले देशभक्त हैं। उन्होंने बताया कि पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। लेकिन उनका यह भी कहना था कि जल संरक्षण का कार्य सरकार तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान की तरह इसे भी जन-जन तक पहुंचना चाहिए। इसी की तरह प्रधानमंत्री ने प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम चलाने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि लोग 2 अक्टूबर से प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दें। तेज बदलावों वाले इस समय में प्रधानमंत्री का यह संबोधन सभी को अपनी सामाजिक भूमिका पर ठहरकर सोचने के लिए मजबूर करेगा।
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