मोहम्मदी नगर के आरक्षी अपनी बहरूपिया कार्यशैली के लिए है चर्चित


मोहम्मदी-खीरी।(आरएनएस) मैं चाहे ये करुं मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी यह फिल्मी गाना मोहम्मदी नगर कोतवाली में तैनात एक आरक्षी पर बिल्कुल सटीक बैठता है जो अपनी कार्यशैली के लिये खासे चर्चित है।जिस हल्के में तैनाती है वहां न जाकर कोतवाली में ही बने रहते कभी नेताओ की वेशभूषा मे तो कभी दबंग की भूमिका में नजर आता। कोतवाली आने वाले फरियादी जो अपनी फरियाद कोतवाल संजय त्यागी को सुनाना चाहे तो ये महाशय फरियादी को वहां तक जाने ही नहीं देे। ऐसे तमाम फरियादियो के प्रार्थना पत्र स्वयं लेकर उनका निस्तारण कर शिकायत को दफन करने में महारत सी हासिल है। कभी दरोगाओ वाला रिवाल्वर लगाकर अपने को दरोगा की भूमिका में पेश करने वाला ये आरक्षी जीत बहादुर सिंह अपनी इस कार्यशैली के कारण कोतवाल की छवि को खराब करने पर अमादा सा दिख रहा है वही जिम्मेदार अधिकारी मौन धारण किये हुए है क्यो।