डर से आगे धंधा है भाई


मित्र उदास था—खबर सामने थी, बारिश के बाद प्रदूषण का स्तर नार्मल हो गया है। पराली से उठे धुएं का असर खत्म हो गया है। सांस थोड़े आराम के साथ आ रही है। राहत है।
मित्र उदास था—मित्र एयर प्योरीफायर के धंधे में है। अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं-कुछ इस टाइप का गीत मित्र के गले से फूट उठते पराली के धुएं के लिए। पर मित्र उदास थे। पराली का धुआं छोड़कर चला गया, भाई का दिल अभी भरा नहीं था।
डर के आगे धंधा है। डर ही चला गया तो धंधा मंदा है। एक पुरानी फिल्म में एक डॉन अपने असिस्टेंट को इस बात के लिए डांट रहे थे कि क्यों बेवजह वो हत्या करता है, लोगों को मार देता है। डॉन समझा रहे थे कि अपना धंधा किसी की मौत से नहीं, मौत के खौफ से चलता है। मारने का नहीं, डराने का। डराने का, डराने का। बहुत मारोगे, तो लोग डरना छोड़ देंगे। डरना छोड़ देंगे तो धंधा खल्लास। धंधा डर से चलता है। यह सूत्रवाक्य सिर्फ डॉन का नहीं है।
बहुत से धंधे डर से चल रहे हैं। सांस मैं आराम से ले पा रहा हूं, यह देखकर एयर-प्योरीफायर विक्रेता दोस्त बोला-तुम बात समझ ही नहीं रहे हो। पराली का धुआं गया, तो क्या तुम सुरक्षित हो गये। क्या तुम खुद को सेफ समझ रहे हो। तुम्हे पता नहीं है कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी से 87863980989890 न्यूटान, प्रोटान, हैंमिक्सेटेनिजिक्स एलिमेंट निकल रहे हैं। पराली का धुआं गया, तो क्या कंस्ट्रक्शन तो चल रहा है न शहर में। तुम अब भी अनसेफ हो, तुम्हे पांच छह एयर प्योरीफायर ले लेने चाहिए। हर कमरे के हर कोने में एयर प्योरीफायर होंगे, तब तुम सेफ होगे थोड़े से।
मुझे डरना चाहिए, ऐसा मेरा मित्र चाहता है। डर जरूरी है। डरना चाहिए, लगातार डरना चाहिए। बल्कि 24म7 डरना चाहिए। ये वैज्ञानिक भी पब्लिक को डराने के काम में ही लगे हुए हैं। उस दिन एक वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला देकर एक इश्तिहार में बताया जा रहा था कि ऐसे नहीं कि आप सिंपल पानी से हाथ धोकर सेफ हो गये, जब तक हमारे वाले आइटम से आप हाथ ना धोयेंगे, तब तक आप अनसेफ ही हैं। फिर टीवी इश्तिहार में दिखाया गया कि आपके हाथ में ये ये कचरा बचा रह जाता है, पानी से साफ करने के बावजूद। जो बच रहा था, उसमें कुछ सांप टाइप तत्व दिखायी पड़ रहे थे। सामान्य आंखों से सांप दिखायी नहीं पड़ते, इसके लिए वैज्ञानिक अध्ययन जरुरी है और वैज्ञानिक कंपनियों से पैसे लेकर अध्ययन करके यही बताना चाह रहे हैं कि आप उस आइटम से ही हाथ धोया करो, वरना तो कई सारे सांप आपके साथ टहल रहे होंगे।
कैसे कैसे आइटम टहल रहे हैं। पराली का धुआं जाने के बाद भी कितने खतरे बाकी रह गये हैं, यह बात हम नादान अज्ञानी समझ न पा रहे हैं। डरिये डरिये प्लीज।