सीतापुर। जनपद में आए दिन ट्रैक्टर ट्रालियों से दुर्घटनाएं होती रहती हैं। ट्रैक्टर ट्रालियां आवरलोड लकड़ी व भूसा लेकर जाती हुई देखी जा सकती हैं। लेकिन एआरटीओ व यातायात पुलिस मौन धारण किये रहती है। जिसके चलते धड़ल्ले से जिले के मार्गों पर ट्रैक्टर ट्रालियां ओवरलोडिंग कर फर्राटा भरती रहती हैं। शायद एआरटीओ महकमें के पास इन ओवरलोड़ ट्रैक्टर ट्रालियो के लिए कोई नियम कानून ही नहीं है। या फिर इन पर विभागीय मेहरवानी बरस रही है। जिसका फायदा ओवरलोड़ वाहन उठा रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार चेतने को तैयार नहीं हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण तीन जनवरी को देखने को मिला था। लेकिन शायद उन्हें किसी बड़े हादसे का इन्तजार है। जनपद के कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहर क्षेत्र में भी ओवरलोड़ लकड़ी भरी ट्रैक्टर ट्रालियां चक्कर लगाती रहती हैं। इन ट्रालियों पर पुलिस विभाग की नजरे इनायत रहती हैं। जिसके चलते यह ट्रालियां सरपट दौड़ती रहती हैं। ओवरलोडिंग पर अंकुश होने के बावजूद यह ट्रैक्टर ट्रालियां ओवरलोड लकड़ी, व भूसा भरकर चलती रहती हैं। कई बार ओवरलोड़ वाहनों से दुर्घटनाएं होने के बाद भी इन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। सुबह सड़को पर लकड़ी से भरी ट्रालियां शहर सहित कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में दौड़ती रहती हैं। इन ट्रालियो पर पुलिस की खास मेहरवानी रहती है। मेहरवानी हो भी क्यों न जब ट्रैक्टर ट्राली से सुविधा शुल्क लिया जाता है। इसके लिए बाकायदा रेट भी तय कर रखे गये हैं। चौकी क्षेत्र से गुजरने पर चालक स्वयं जाकर सुविधा शुल्क अदा कर देता है और उसके बाद ही आगे जा पाता है। सूत्रो की माने तो लकड़ी कटान से बेचने के बीच में एकमुश्त कीमत पहले से ही तय हो जाती है। जिसके चलते लकड़कट्टे हरे भरे पेड़ों की कटान कर ट्रैक्टर ट्रालियों में ओवरलोड़ लकड़ी भरकर लकड़ी मण्डी में बेच देते हैं। लेकिन इन्हें कोई रोकने वाला भी नहीं होता है। रही बात एआरटीओ महकमें की तो वह भारी वाहनों आदि की फिराक में रहते हैं। वह भी सुबह दस बजे के बाद या फिर शाम के समय ऐसे में सुबह ट्रैक्टर ट्रालियां ओवरलोड़ लकड़ी भरकर बेखौफ होकर लकड़ी मण्डी तक पहुंच जाती है। इतना ही नहीं अधिकांश ट्रैक्टर ट्रालियों पर न तो नम्बर लिखे होते हैं और न ही रजिस्ट्रेशन नही होता है। इसके बाद भी वह धड़ल्ले से ओवरलोडिंग करके चलते रहते हैं।