प्रसाद के रूप में घर को हरियाली प्रदान करेंगे पौधे


बांदा। जनपद में पौधारोपण को बढ़ावा देने तथा जनमानस में पौधारोपण के प्रति अभिरूचि जागृत करने के उद्देश्य से धार्मिक स्थलों मंदिर ,मस्जिद, गुरुद्वारा एवं जैन मंदिरों में श्रद्धालु जन प्रचलित प्रसाद के साथ साथ पौधे भी चढ़ाएंगे और मंदिर के पुजारी प्रसाद के रूप में प्राप्त पौधों को श्रद्धालुओं को आशीर्वाद के रूप में पौष पौधे देंगे। श्रद्धालु जन आशीर्वाद रूपी प्राप्त पौधों को अपनी जमीन, घर आंगन, मिट्टी के गमल, घड़े एवं अनुपयोगी बर्तनों में रोपित कर शुद्ध प्राण वायु ऑक्सीजन प्राप्त करेंगे। ऐसा करने से उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्त होगी।  यह अनूठी पहल  जिलाधिकारी बांदा हीरालाल ने की है। इसके लिए बकायदा नोडल अधिकारी व सह नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।
इस संबंध में आज कलेक्ट्रेट बांदा में बैठक हुई जिसमें इस अभियान को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाई गई। इसके लिए सभी कमेटी सह कमेटियों को 3 दिन के अंदर मंदिर के पुजारियों, प्रबंधकों, मस्जिद के मुतवल्ली तथा जैन मंदिर, चर्च के पदारियों के साथ बैठक कर पौधों को प्रसाद के रूप में वितरित करने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है। साथ ही प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने व मिट्टी के बर्तनों का उपयोग कराने के लिए लोगों को जागृत करने को भी कहा गया जिलाधिकारी ने सभी नोडल अधिकारियों सहायक नोडल अधिकारियों से कहा है कि वह अति शीघ्र इस मामले में बैठक कर मुझे अवगत कराएं।
जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में हर वर्ष वृक्षारोपण अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इनमें मात्र 10 प्रतिशत वृक्ष ही मुश्किल से बच पाते हैं। बाकी देखभाल के अभाव में नष्ट हो जाते हैं। सरकार हर साल यह अभियान चलाती है। हर साल पेड़ लगते हैं और होता कुछ उल्टा, भारत में वन क्षेत्र का प्रतिशत भी बढ़ने के बजाय घट रहा है। इससे आहत होकर जिलाधिकारी बांदा जो तलाब जियाओ अभियान, ऑक्सीजन पार्क व नदियों के प्रति लोगों की श्रद्धा जागृत करने के लिए अभियान चला रहे हैं।
ऐसे ही अभियानों से एक और अभियान उन्होंने शुरू किया है। उनका मानना है कि मंदिर में चढ़ाए गए या मंदिर में मिला हुआ प्रसाद को सब पवित्र मानते हैं। इतना पवित्र कि अगर वह जमीन में गिर जाए तो भी लोग उसे प्रणाम कर सर से लगाते हुए ग्रहण करते ह।ै कोई कभी प्रसाद को फेंकता नहीं, कभी कोई उसका अनादर नहीं करता है। इसलिए उन्होंने एक नए अभियान को जन्म दिया। उनका मानना है कि।
जब कोई पौधा प्रसाद के रूप में भक्तों को मिलेगा तो वह उसका अनादर नहीं करेगा उसे इधर उधर से करेगा नहीं यह सोच कर कि ऐसा करना प्रसाद का अपमान करना है और उस पौधे रुपी प्रसाद को जब कहीं लगाएगा तो उसकी देखभाल भी करेगा उसका सम्मान भी करेगा। इस अनूठी पहल को मंदिर के पुजारियों ने सहर्ष स्वीकार किया है और जल्दी ही इस अभियान को गति मिलेगी।