सोलह सौ रुपए में लर्निंग लाइसेंस तो दो हजार में 1 साल का फिटनेस


शाहजहांपुरध्ध्एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का सपना देख रही है तो उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के ग्रह जनपद शाहजहांपुर में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है यहां आरटीओ कार्यालय तो वर्षों से भ्रष्टाचार के मामले में चर्चा का विषय  बना हुआ है। इस कार्यालय के खिलाफ कई बार समाचार पत्रों में खबरें भी प्रकाशित हुई भले ही भाजपा की सरकार होने के कारण भाजपायों ने इस मुद्दे को ना उठाया हो लेकिन व्यापार मंडल सहित तमाम सामाजिक संगठनों एवं समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता  कई बार कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन कर आरटीओ कार्यालय और नगर निगम में व्याप्त  भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज  उठा चुके हैं ज्यादा हो हल्ला होने पर जिला प्रशासन ने आरटीओ कार्यालय मैं खुलेआम कुर्सी और  टेबल डालकर सैकड़ों की संख्या में बैठे दलालों को स्वयं नगर मजिस्ट्रेट और पुलिस प्रशासन ने कार्यालय परिसर से भगाने का काम किया लेकिन 2 दिन भी नहीं गुजरे फिर सभी के बिस्तर  पड़ गए जो आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों से दलालों की सांठगांठ का जीता जागता सबूत है वरना बगैर  आरटीओ साहब के  किसी दलाल की मजाल नहीं जो खुलेआम बिस्तर लगाकर दलाली कर सके यही नहीं ज्यादातर समय एआरटीओ और आईटीओ साहब की सीट आपको खाली ही मिलेगी।


 कार्यालय परिसर में होती है चार पहिया और मोटरसाइकिल  स्टैंड के नाम से  वसूली।


 फिलहाल आरटीओ कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार को लेकर नेता से लेकर अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं है कार्यालय परिसर में मोटरसाइकिल के नाम से 10 रूपया तो चार पहिया वाहन से 30 रूपया वसूली की जाती है जहां कम से कम प्रतिदिन 5 सौ  वाहन से 7 सौ छोटे.बड़े वाहन एकत्र होते हैं जिन की लगभग   बीसो हजार रुपया प्रतिदिन वसूली की जाती है इसका जवाब  किसी अधिकारी के पास नहीं है इस जवाब के लिए साहब का फोन भी नहीं उठता।


 2 हजार  रुपए में बनता है बनता है 1 साल का गाड़ी का फिटनेस जबकि सरकारी फीस मात्र छह सौ रुपए है 16 सो रुपए में बनती है लर्निंग ड्राइवरी लाइसेंस 350 रूपय की कटती है रसीद अगर कहीं गाड़ी ट्रांसफर कराना पड़ जाए तब तो दलाल ले लेते हैं दसों हजार रुपया अब सवाल उठता है क्या बगैर आरटीओ कार्यालय तक सुविधा शुल्क पहुंचाए खुलेआम हो सकती है। लूट जब इन सवालों का जवाब जानने के लिए आरटीओ साहब से संपर्क करना चाहा गया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ था। और कार्यालय में आरटीओ और एआरटीओ की सीट खाली पड़ी थी बड़े बाबू ने कहा मेरे पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है।