सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना कोई अंधविश्वास ना पालें:- लक्ष्मीकांत शर्मा 



 

पीलीभीत:- समाधान विकास समिति  विपनेट क्लब द्वारा अग्रवाल सभा भवन  निकट चरक का कुआं  स्थित कार्यालय पर सुरक्षित सूर्य ग्रहण दिखाने की व्यवस्था कर रहा है। इसके अंतर्गत समन्वयक लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि सूर्य ग्रहण खगोलीय घटना है, इसका आनंद लें तथा सामान्य जीवन जियें। उन्होंने बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है तथा चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य   ग्रहण पड़ता है। सूर्य ग्रहण को नंगी आंख से ना देखें, क्योंकि यह आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। सूर्य ग्रहण वैज्ञानिकों के लिए एक उत्सव की भांति होता है तथा ब्रह्मांड में कुछ विलक्षण घटनाएं होती हैं 1968 में सूर्य ग्रहण के समय वर्ण मंडल में हीलियम गैस का पता चला। पदार्थ की संरचना भी सूर्य की रश्मिओं से ही संभव है। 26 दिसंबर को वर्ष का अंतिम व बड़ा सूर्य ग्रहण पड़औ रहा है,  8:23 से प्रारंभ होगा केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के दक्षिणी भाग में इसे कंकण आकृति में देखा जा सकेगा, जबकि शेष भारत में यह खंडग्रास ग्रहण के रूप में दिखाई पड़ेगा। ऐसे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि सूर्यग्रहण के समय भोजन करने से, बाहर घूमने से या गर्भवती महिलाओं को कोई नुकसान पहुंचा हो। बिना किसी की आस्था पर चोट पहुंचाए कहा कि सूर्य ग्रहण के उपरांत भोजन आदि ना फेंके ऐसा कोई प्रमाण नहीं है गृहण के उपरांत भोजन खराब हो गया हो। अपना सामान्य जीवन जियें।


 

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