आयुर्वेद के ये चार तरीके दूर करेंगे मानसिक तनाव

आयुर्वेद के ये चार तरीके दूर करेंगे मानसिक तनावकोई भी व्यक्ति मानसिक तनाव शिकार नहीं बनना चाहता है। इसके बाद भी कई लोग ऐसे हैं, जो दिनभर कुछ न कुछ सोचकर परेशान रहते हैं। जरूरत से ज्यादा किसी विषय के बारे में सोचना, आपका स्वास्थ्य खराब कर सकता है और आप अवसाद के शिकार भी हो सकते हैं। आमतौर पर चिंता शरीर के वात दोष खराब होने से होता है। ज्यादा काम, अनियतित आहार और ठंडे वातावरण के कारण ये दोष बिगडऩे लगता है। चिंता के कारण आपका किसी काम में मन भी नहीं लगता है और नींद आनी भी कम हो जाती है। आज हम आयुर्वेदिक तरीकों से जानते हैं कि मानसिक तनाव किस तरह से कम किया जा सकता है।
गुनगुने पानी से स्नान
जब आप ज्यादा चिंता करने लगते हैं तो आपका मन काफी अशांत हो जाता है। ऐसे में गुनगुने पानी से नहाना आपके लिए बहुत राहत भरा हो सकता है। एक तिहाई कप पिसी हुई अदरक और बेकिंग सोडा गर्म पानी में मिला लें, 10 से 15 मिनट तक इन्हें पानी में भीगा रहने दें। इसके बाद आपको इस पानी में स्नान करना चाहिए, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे आपका मन बहुत सारी बातें और चिंता करना कम कर देगा।
बादाम का दूध
10 से 12 बादाम रात में भिगोकर रख दें, अगले दिन उसका छिलका उतार लें। गर्म दूध में पिसे हुए बादामों को अच्छी तरह मिला लें और आप इसमें अन्य मेवों को भी डाल सकते हैं। थोड़ी-सी अदरक और केसर मिलाकर उसे पीने से आपका दिमाग शांत होगा और आप चिंता करना भी कम कर देंगे। आप रोज इसे पी सकते हैं, इससे आपका वात दोष कम होने लगते हैं।
सुगंध चिकित्सा
कई बार आपके अच्छी खुशबू आपके मन पर अच्छा प्रभाव डालती है और आप हल्का महसूस करते हैं। कुछ सुगंधों का वात दोष पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, वह इसे कम करने में मदद करती है। आप अपने नहाने के पानी में तुलसी, नारंगी, लौंग और लैवेंडर का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। इनकी कुछ बूंदें गर्म पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं। आप चाहें तो अपने कमरे में हल्की सुगंध का प्रयोग भी कर सकते हैं, ये आपके लिए कारगर साबित होगा।
वैकल्पिक नाक श्वास
वैकल्पिक नाक श्वास आपके दोषों को शांत करने में काफी कारगर है और ये किसी भी तरह की चिंता को कम करता है। ये योग मस्तिष्क को संतुलित रखता है और मन की ऊर्जा भी सही करता है। किसी शांत जगह इसका प्रयास करना आपके लिए लाभकारी होगा। ध्यान रहे कि आप सांस लेते समय बल का प्रयोग न करें, सांस लेते समय मुंह से सांस न लें और बीच-बीच में थोड़ा आराम करें।