भक्तों की भावना से पत्थर में भी होते हैं भगवान के दर्शन - देवकीनंदन महाराज
वृन्दावन ।(आरएनएस ) छटीकरा मार्ग स्थित ठा श्रीप्रियाकान्तजू मंदिर का चतुर्थ पाटोत्सव धूमधाम से मनाया गया । मंदिर संस्थापक एवं भागवत प्रवक्ता देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने विप्रों संग मंत्रोच्चार के बीच प्रियाकान्तजू विग्रह का पंचाभिषेक कर रत्नजड़ित पौशाक धारण करायी । देश के कौने-कौने से आये श्रद्धालुभक्तों ने अपने अराध्य के दर्शन कर बधाई गाते हुये पाटोत्सव पर खुशियाँ मनायीं ।
मंगलवार को श्रीप्रियाकान्तजू मंदिर पर आकर्षक साज-सज्जा की गयी । मंदिर गर्भगृह पर फूल बंगला सजाया गया । प्रातः ठाकुरजी के विग्रह का अभिषेक एवं श्रंगार दर्शन के पश्चात आरती हुई । इसके पश्चात ठाकुरजी के छप्पन भोग दर्शन भक्तों के लिये खोले गये । देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज के साथ अयोध्या मणिराम छावनी उत्तराधिकारी कमलनयन शास्त्री महाराज, वृन्दावन भागवतपीठाधीश्वर पुरुषोत्तमशरण शास्त्री महाराज, भागवत वक्ता नेत्रपाल महाराज एवं अन्य संतजनों ने प्रियाकान्तजू की आरती उतारी ।
इस अवसर पर देवकीनंदन महाराज ने आर्शीवचन में कहा कि भक्तों की भावना से साधारण से पत्थर में भी भगवान की प्राणप्रतिष्ठा हो जाती है । लाखों भक्तों की आस्था और भक्ति का ही परिणाम है कि 8 फरवरी 2016 को वृन्दावन में कमलपुष्प मंदिर के रूप में ठा. श्रीप्रियाकान्तजू मंदिर का सपना साकार हुआ । अयोध्या से आये कमलनयन महाराज ने कहा कि वृन्दावन धाम में भक्तिभाव हृदय लेकर आने वाले श्रद्धालु के चित्त में स्वंय श्रीयुगलजोड़ी सरकार विराजमान हो जाते हैं ।
पुरुषोत्तम शरण शास्त्री महाराज ने देवकीनंदन महाराज को डाॅक्टरेट की उपाधि मिलने पर बधाई देते हुये कहा कि वे भगवान की कथाओं से मानव के अशांत चित्त का उपचार कर रहे हैं । उन्होने कहा कि शिष्य की हर उपलब्धि से गुरू का मान बड़ता है । आर्शीवचन के पश्चात मधुर भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालुभक्तों ने भावविभोर होकर नृत्य किया । कार्यक्रम के पश्चात मंदिर प्रांगण में भण्डारा हुआ जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने प्रसादी प्राप्त की ।
इस अवसर पर विश्व शांति सेवा चैरीटेबल ट्रस्ट के सचिव विजय शर्मा, रवि रावत, श्रीपाल जिंदल, धमेन्द्र शर्मा धन्नू भईया, डा. यूपी सिंह, विपिन वाजपेयी, सावित्री सिंह, गजेन्द्र सिंह, तरूण खत्री, राजू यादव, मंजु शुक्ला, शिव शंकर झा, किशन गोड़, विवके शर्मा, बच्चू सिंह, धमेन्द्र यदुवंशी आदि उपस्थित रहे ।
भक्तों की भावना से पत्थर में भी होते हैं भगवान के दर्शन - देवकीनंदन महाराज