न्याय के लिए भटक रहीं शिम्पी मिश्रा-- 

सुलतानपुर,कूड़ेभार। महिला दिवस आने में चंद दिन ही बाकी है,और इधर सयोंग ही है कि एक महिला अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए महिला जिलाधिकारी,महिला सांसद,महिला आयोग की चौखट तक अपनी फरियाद लेकर गईं लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नही मिल पाया। हलाकि इससे इतर भी वह महिला मुख्य विकास अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी से भी फरियाद कर चुकी है। नतीजा अभी तक ढाक के तीन पात ही निकला। गौरतलब है कि हाल ही में जिले भर में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अनुदेशकों से स्थानांतरण के लिए आवेदन मांगे गए थे। जिसके अंतर्गत कूरेभार ब्लाक के टेंहसा उच्च प्राथमिक विद्यालय में अनुदेशक पद पर तैनात शिवनगर  गुप्तारगंज निवासी शिम्पी मिश्रा ने भी अपनी सुविधानुसार भरथीपुर,कस्बा एवं परवर सहित तीन स्कूलों का विकल्प भरकर अपना आवेदन खंड शिक्षा कार्यालय कूरेभार में जमा किया था। स्थानांतरण की सूची जब निकली तो शिम्पी का नाम स्थानांतरण वाली सूची से गायब था। जानकारी करने शिम्पी जब जिला वेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुँची तो उन्हें बताया गया कि आपका आवेदन ही कूरेभार कार्यालय से यहां नही आया। शिम्पी मिश्रा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कूरेभार गईं तो वहां से उन्हें गोल-मोल उत्तर दिया गया। शिम्पी का कहना है कि उन्होंने आवेदन में भरथीपुर, कस्बा,एवं परवर विद्यालय का विकल्प भरा था। महिला होने के नाते वरीयता उन्हें ही मिलनी थी लेकिन इन स्कूलों में पुरूष अनुदेशकों को भेजा गया वह भी दूसरे ब्लाक से जबकि मेरा मेरे ही ब्लाक में नही हुआ। अपनी फरियाद लेकर शिम्पी अब तक बीईओ,बीएसए,सीडीओ,डीएम,सांसद,महिला आयोग से अपनी फरियाद कर चुकी हैं। महिला अनुदेशक अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए अधिकारियों की चौखट पर दर-दर की ठोकरें खा रही है।लेकिन अभी तक आश्वासनों का झुनझुना ही हाथ लगा है। यह भी एक सयोंग ही है कि जिले में महिला डीएम सी इंदुमती,महिला सांसद मेनका गांधी के साथ ही महिला आयोग की सदस्य सुमन सिंह भी इसी जिले से हैं। लेकिन अभी तक महिला शिक्षक को न्याय नही मिल पाया है।

अनुदेशक शिम्पी मिश्रा अपने साथ हो रहे बर्ताव से परेशान हैं। वे कहती हैं कि सबसे ज्यादा मैं पहले से ही परेशान थी और अब सबसे ज्यादा मुझे ही परेशान किया जा रहा है। बकौल शिम्पी मिश्रा मेरी पोस्टिंग मेरे घर से 25 किलोमीटर दूर है। समय से विद्यालय पहुँच पाऊं इसीलिए स्कूल से कुछ दूर पर पीढ़ी बाजार में दो हजार रुपये में किराए पर कमरा लेकर रहती हूं।

जबकि सात हजार मानदेय मिलता है। गांव के बगल स्कूल मिल जाता तो हमारी मुश्किलें दूर हो जाती।

खंड शिक्षा कार्यालय कूरेभार में अनुदेशकों से आवेदन लेते समय रिसीविंग नही दी जा रही थी संयोग से मैंने जिद कर रिसीविंग ली थी यह बात कार्यालय वाले भूल गए और मेरे साथ खेल कर गए। कार्यालय पर एक कॉकस काम करने का आरोप लग रहा है जो शिक्षकों से संबंधों के आधार पर व्यवहार करता है। यहां तैनात कर्मचारियों पर अधिकारियों की पकड़ ढीली होने का आरोप समय-समय पर शिक्षक लगाते रहें हैं। लेकिन यहाँ तैनात कर्मियों एवं अधिकारियों की मिलीभगत एवं कॉकस के चलते शिक्षकों की आवाज दब जाती है। शिक्षक संघ से जुड़े कई चेहरों पर भी शिक्षकों के शोषण में मददगार होने के आरोप हैं।