सीता स्वयंवर का मार्मिक प्रसंग सुन भाव युगल हुए श्रोता

बिसवां नगर (सीतापुर)।(आरएनएस ) नगर के मानस मन्दिर स्थल पर चल रहा है। बिष्णु यज्ञ व राम कथा के चतुर्थ दिवस शुक्रवार को कथा व्यास प्रभात शास्त्री जी ने सीता विवाह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंबर के लिए धनुष यज्ञ का आयोजन किया। राजा जनक ने कहा कि जो शिव धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ अपनी पुत्री सीता का विवाह करूंगा। यह सुनकर देश विदेश के राजा जनकपुर पहुंचते हंै। धनुष यज्ञ में पहुँचे राजाओं ने शिव धनुष को तोडने की जोर अजमाइस की किन्तु शिव धनुष टस से मस नहीं हुई। यह देख राजा जनक ने कहा कि यह धरती वीरों से खाली है। कोई शिव धनुष नहीं तोड़ पायेगा अब हमारी पुत्री सीता का विवाह नहीं हो पायेगा। इस बात को ऋषि विश्वामित्र पता चला तो राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुहन को लेकर अयोध्या से चल देते है और धनुष यज्ञ में पहुंचते हैं। राजा जनक के बीरों से खाली होने की बात को सुनकर लक्ष्मण तमतमा उठते हैं और कहते हैं कि राजा जनक जी यह धरती बीरो से खाली नहीं है। इसी बात पर ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर रामचन्द्र जी उठते है और शिव धनुष को पकड़ते ही शिव धनुष टूट जाती है। शिव धनुष टूटते ही आकाश से देवता लोग पुष्प वर्षा होने लगती है और चहुंओर जय जयकारा होने लगता। धनुष भंग होने के बाद राजा जनक अपने अपनी पुत्री सीता का विवाह राम के साथ करते है। सीता जी श्रीराम के गले में जयमाला डालती है। जयमाला डालते ही देवता लोग पुष्प वर्षा करते है। इसके बाद सीता जी के साथ श्रीराम और चारों भाई को लेकर विश्वामित्र जी अयोध्या पहुँचते है। पूरे राज्य में खुशियां मनायी जाती है। इस कथा को सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गये। इस कार्यक्रम में यज्ञाचार्य अवधेश शास्त्री, भागवताचार्य राकेश शुक्ल, उमाशंकर शुक्ल, शंकर दयाल शुक्ल, श्रवण शुक्ल, त्रिपुरारी शुक्ल, दिलीप शुक्ल, रामनाथ शुक्ल, राजकिशोर शुक्ल सहित सैकड़ों भक्तों ने कथा श्रवण किया।